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काशीपुर के जसपुर खुर्द में सरकारी लापरवाही का बड़ा खुलासा: पंचायत भवन बना शराबियों का अड्डा, सरकारी रिकॉर्ड और जनता के दस्तावेज खुले में सड़ रहे, हालात देख कर हैरान रह जायेंगे,देखिए एक्सक्लूसिव वीडियो

@शब्द दूत ब्यूरो (30 नवंबर 2025)

काशीपुर। जसपुर खुर्द में आज जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने सरकारी विभागों की लापरवाही की पोल खोलकर रख दी है। जनता अपने दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने की उम्मीद में घंटों लाइन में लगकर सरकारी दफ्तरों में जमा करती है, लेकिन उन दस्तावेज़ों की असल स्थिति देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा।

ग्राम पंचायत जसपुर खुर्द के अंतर्गत आने वाला राजीव गांधी पंचायत भवन, जिसका उद्घाटन वर्ष 2006 में हुआ था, आज जर्जर स्थिति में खड़ा है। यह भवन कभी मतदान केंद्र भी रहा है और इसके भीतर कई सरकारी गतिविधियाँ संचालित होती थीं, लेकिन आज इसका स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है।

जब शब्द दूत की टीम मौके पर पहुंची तो मेन गेट पर ताला नहीं लगा था और न ही कोई वहाँ तैनात था। भवन के कमरों, बरामदों और प्रांगण में जगह-जगह शराब के पाउच, गिलास और कचरा बिखरा पड़ा है। कई कमरे बिना ताले के खुले हुए हैं, जबकि कुछ में ताला होने के बावजूद अंदर शराब के पाउच मौजूद हैं। इससे साफ है कि देर रात यहां शराबखोरी और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होता है।

टॉयलेट की हालत बेहद दयनीय है। खिड़कियाँ और दरवाजे टूट चुके हैं। फर्श उखड़ चुका है और दीवारें जर्जर दिखाई देती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह स्थान अपराधियों के लिए भी शरणस्थली बन चुका है।सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि सरकारी दस्तावेज खुले में सड़ रहे। भवन की छत पर बने स्टोर रूम में सरकारी रिकॉर्ड का ढेर लगा मिला। जिनमें पंचायत विभाग के रजिस्टर, पुराने रिकॉर्ड, सरकारी दस्तावेज, स्टांप पेपर सब धूल, कीड़ों और गंदगी में सड़े हुए पड़े मिले। कई दस्तावेज इतने खराब हो चुके हैं कि पहचानना मुश्किल है। मेजों के नीचे भी शराब के पाउच मिले, जिससे साफ है कि सरकारी कागजों के बीच शराबखोरी होती रही है।

आम जनता के लिए जहां एक तरफ केवाईसी, राशन कार्ड और आधार अपडेट के लिए लम्बी-लम्बी लाइनें लगी रहती हैं, वहीं दूसरी तरफ पहले जमा किए गए उनके दस्तावेज़ इस तरह कूड़े की तरह पड़े मिले—यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

हालांकि वर्तमान में यह भवन नगर निगम क्षेत्राधिकार में आता है, लेकिन उसके रखरखाव की स्थिति बेहद शर्मनाक है। भवन के बाहर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर बना बस स्टैंड भी अब जर्जर स्थिति में दिखाई देता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि भवन पर कब्जे का खतरा भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि लंबे समय से यह उपेक्षित पड़ा है।

जसपुर खुर्द का राजीव गांधी पंचायत भवन सरकारी लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण बन चुका है। जहां एक ओर जनता कागजों को सुरक्षित रखने के लिए सरकारी सिस्टम पर भरोसा करती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी रिकॉर्ड खुले में सड़ते देखना गंभीर प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है।

प्रशासन को इस भवन को तत्काल सुरक्षित करने, असामाजिक गतिविधियों पर लगाम लगाने और सरकारी दस्तावेजों को संरक्षित करने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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