@शब्द दूत ब्यूरो (20 नवंबर 2025)
देहरादून। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित की गई है, जहां इस संवेदनशील प्रकरण में बड़े फैसले की उम्मीद की जा रही है। माना जा रहा है कि यह सुनवाई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में होगी।
उल्लेखनीय है कि 14 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई भी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाला बागची की ही बेंच में हुई थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है, और वे 24 नवंबर को शपथ ग्रहण करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाई में रेलवे और उत्तराखंड सरकार के पक्ष में क्रमशः वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी और अभिषेक अत्रे उपस्थित रहे। कब्जेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण समेत अन्य वकीलों ने पक्ष रखा।
रेलवे ने अदालत को बताया कि प्रस्तावित निर्माण कार्य के लिए 30 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिस पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण है। रेलवे ने इस भूमि को जल्द से जल्द खाली कराने के लिए न्यायालय से निर्देश की मांग की।
विपक्षी पक्ष की आपत्तियाँ
कब्जेदारों की ओर से दो प्रमुख आपत्तियाँ रखी गईं—
1. रेलवे द्वारा अब जिस भूमि की मांग की जा रही है, वह पहले की मांग से भिन्न है।
2. रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को अब कोई खतरा नहीं है, क्योंकि रिटेनिंग वॉल का निर्माण हो चुका है।
साथ ही यह भी कहा गया कि वर्षों से रह रहे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास देने की बात अब सामने लाई जा रही है, जो अनुचित है। इस दावे का कड़ा विरोध रेलवे की अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने किया।
बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण विवाद कई वर्षों तक रेलवे की अदालत में चला, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा और वहां फैसला कब्जेदारों के खिलाफ आया। अब सर्वोच्च न्यायालय की 2 दिसंबर वाली सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं, जहां इस मामले का निर्णायक फैसला आने की संभावना जताई जा रही है।
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