Breaking News

मोदी अमित शाह का ग्राफ नीचे गिरा 71 %से 40 % हिस्से में रह गयी भाजपा की सत्ता,अहंकार कांग्रेस को ले डूबा था उसी राह पर भाजपा भी

ग्राफिक साभार

विनोद भगत

आरोह के बाद अवरोह प्रकृति का नियम है। कभी यह प्रक्रिया जल्द होने लगती है और कभी समय लगता है। भाजपा को शीर्ष पर पहुंचाने वाले नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं। हालांकि यह अधूरा सच है। यहाँ पर लोग भूल कर गये। दो व्यक्तियों के इर्द-गिर्द भाजपा को सीमित करने के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। दिसंबर 2017 तक भाजपा का ग्राफ तेजी से बढ़ा। पर इस तेजी के साथ भाजपा और इसके नेताओं का अहंकार उससे भी तेजी से बढ़ा। यहां तक कि मोदी को देश मान लिया गया। मोदी की आलोचना को देश की आलोचना माना जाने लगा ऐसा मोदी समर्थकों को पढ़ाया गया और कई लोगों ने इसे स्वीकार भी कर लिया। लोग देश को भूल गये। 

2017 के इन्हीं वजहों से  बीजेपी के सिमटने का दौर शुरू हुआ और नवंबर 2019 तक बीजेपी 71 फीसदी से घटकर 40 फीसदी में आ गई। इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट की रिपोर्ट के मुताबिक अब बीजेपी की सत्ता सिमटकर देश के 40 फीसदी हिस्से में रह गई है।

नरेंद्र मोदी को साल 2014 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का तेजी से विस्तार हुआ। बीजेपी ने साल 2014 में केंद्र में सरकार बनाई और फिर कई राज्यों में भी बीजेपी की सरकार बनी। साल 2017 तक बीजेपी हिंदुस्तान के 71 फीसदी हिस्से में छा गई। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सियासी रणनीति का नतीजा था। डीआईयू की रिपोर्ट से एक बात तो साफ है कि साल 2017 के मुकाबले साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का जादू कम हुआ है। जिन राजनीतिक फैसलों के लिए भाजपा कांग्रेस को दोषी ठहराती रही कुछ ऐसे ही राजनैतिक फैसले भाजपा ने भी लिये। इन फैसलों पर भाजपा का तर्क यह होता कि यह राजनीति है।  जब ऐसी ही राजनीति है तो बदलाव की बात तो झूठी हो गयी। 

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भले ही पिछले चुनाव की अपेक्षा ज्यादा सीटें मिलीं और उसने 303 सीटें जीतकर केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई हो, लेकिन हाल के कई राज्यों के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार के बाद बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। 

अब महाराष्ट्र में भी बीजेपी सत्ता से हाथ धो बैठी है। शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस को मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस तरह दूसरी बार महाराष्ट्र में फडणवीस की सरकार सिर्फ 4 दिन ही चली और 80 घंटे में फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।इस चुनाव में बीजेपी की सीटों की संख्या कम हुईं और बीजेपी 122 से 105 में सिमट गई। हालांकि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़े से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहा। चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना में दरार पड़ गई।

शिवसेना के दूर होने के बाद बीजेपी नेता फडणवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सूबे में सरकार बना ली। हालांकि यह सरकार चार दिन से ज्यादा नहीं चली और फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद अब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सूबे में सरकार बनाने जा रही हैं। इस तरह अब महाराष्ट्र की सत्ता से भी बीजेपी बाहर हो चुकी है। 

महाराष्ट्र के इस उदाहरण के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की सहयोगी पार्टी ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। क्या तमाम क्षेत्रीय दल इसी प्रकार धीरे धीरे भाजपा से किनारा करेंगे। यह तो भविष्य के गर्भ में है। पर यहाँ यह गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस को इससे खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कांग्रेस को मोदी और अमित शाह ऐसी स्थिति में पहुंचा चुके हैं जहाँ से उसे अपनी खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करने में लंबा समय लगेगा।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

आज का पंचांग: कैसा रहेगा आपका आज का दिन, जानिये अपना राशिफल, बता रहे हैं आचार्य धीरज याज्ञिक

🔊 Listen to this *आज का पंचांग एवं राशिफल* *०३ दिसम्बर २०२३* सम्वत् -२०८० सम्वत्सर …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-