Breaking News

देहरादून के पछुवा क्षेत्र में परिवार रजिस्टरों से बढ़ी मुस्लिम आबादी पर सवाल, डेमोग्राफी चेंज की जांच तेज

@शब्द दूत ब्यूरो (15 अक्टूबर 2025)

देहरादून। उत्तराखंड की देवभूमि में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि देहरादून के पछुवा क्षेत्र—जिसे पश्चिमी देहरादून या पछुवा दून कहा जाता है—में परिवार रजिस्टरों में हेराफेरी कर मुस्लिम आबादी का विस्तार किया गया है। शासन-प्रशासन ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस पूरे खेल में किन-किन की भूमिका रही।

हिमाचल और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से सटे इस इलाके में उत्तराखंड सरकार के लिए जनसांख्यिकीय बदलाव (Demographic Change) अब चिंता का गंभीर विषय बन चुका है। बताया जा रहा है कि यूपी और अन्य बाहरी राज्यों से आई मुस्लिम आबादी ने यहां की ग्राम सभाओं, वन और सिंचाई विभाग की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे कर बसावट की है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि स्थानीय मुस्लिम ग्राम प्रधानों, प्रधान पतियों और कुछ पंचायत अधिकारियों ने इन अवैध बसावटों को संरक्षण दिया।

सूत्रों के अनुसार, पछुवा देहरादून के करीब 28 गांव जो कभी हिंदू बाहुल्य हुआ करते थे, अब मुस्लिम बहुल हो चुके हैं। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि यह सब एक योजनाबद्ध षड्यंत्र के तहत हुआ, जिसकी शुरुआत कांग्रेस सरकार के दौरान हुई और आज भी यह सिलसिला जारी है। इन गांवों में कई ग्राम प्रधानों ने अपने रिश्तेदारों और बाहरी लोगों को सरकारी जमीनों पर बसाकर वोटबैंक मजबूत किया।

जानकारी के मुताबिक, बाहरी राज्यों जैसे यूपी, बिहार, असम, बंगाल, यहां तक कि बांग्लादेश और म्यांमार (रोहिंग्या) से आई आबादी ने पछुवा दून के नदी-नहर किनारे कच्चे-पक्के मकान बना लिए हैं। अब इन लोगों के नाम आधार कार्ड और वोटर लिस्ट में भी दर्ज किए जा चुके हैं।

लचर भू-कानून भी इस अवैध बसावट का एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में बाहरी लोगों के भूमि खरीदने पर सख्त प्रतिबंध है, जबकि उत्तराखंड में ऐसे कानून अपेक्षाकृत कमजोर हैं। इसी का फायदा उठाकर बाहरी लोगों ने यहां धीरे-धीरे कब्जे जमाए। पहले कुछ परिवार आए, फिर उन्होंने अपने रिश्तेदारों को बुलाया, और धीरे-धीरे पूरा सामाजिक ढांचा बदल गया।

पिछले कुछ वर्षों में प्रेमनगर से लेकर पोंटा साहिब, शिमला बाईपास और चकराता रोड तक के इलाकों में सरकारी जमीनों पर अवैध मस्जिदें और मदरसे बने हैं। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, सौ से अधिक मस्जिद-मदरसे अब सरकारी या ग्रामसभा की जमीनों पर खड़े हैं।

स्रोतों का दावा है कि राजनीति और धार्मिक संगठनों दोनों ने इस परिवर्तन को संरक्षण दिया। स्थानीय स्तर पर जमात और मुस्लिम सेवा संगठनों के माध्यम से यहां का सामाजिक ढांचा तेजी से बदला जा रहा है। राजनीतिक प्रभाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है—ग्राम सभाओं के बाद अब पंचायतों और विधानसभा क्षेत्रों में इसका असर देखा जा सकता है।

ढकरानी, सहसपुर, जीवनगढ़, हसनपुर कल्याणपुर, तिमली, केदाखाला और सरबा जैसे गांवों में ग्राम प्रधानों पर आरोप हैं कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों से चुनाव लड़ा और बाहरी मुस्लिम आबादी को ग्रामसभा की जमीनों पर बसाया। कुछ मामलों में प्रधानों के फर्जी दस्तावेजों को लेकर अदालती कार्रवाई भी लंबित है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि “परिवार रजिस्टरों में हुई गड़बड़ियों की जांच कराई जा रही है। किसी भी स्थिति में उत्तराखंड की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने नहीं दिया जाएगा। अवैध कब्जों को हटाया जाएगा और क्षेत्र का सत्यापन कराया जाएगा।”

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही के चलते अवैध बसावटें लगातार बढ़ रही हैं। कई बार हटाने के आदेश होने के बावजूद अधिकारियों की कार्रवाई अधूरी रह जाती है। फिलहाल शासन इस पूरे प्रकरण की तह तक जाने की तैयारी में है, क्योंकि यह मामला अब सिर्फ भूमि कब्जे का नहीं, बल्कि राज्य की सामाजिक संरचना से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।

 

Check Also

हर्बल और जड़ी-बूटी सेक्टर में नवाचार व मार्केटिंग पर जोर: मुख्यमंत्री धामी ने दिए निर्देश

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (05 दिसंबर 2025) देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-