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क्या परिवार रजिस्टर में छिपा है उत्तराखंड के डेमोग्राफी चेंज का राज? शासन स्तर पर जांच शुरू, धामी सरकार जल्द ले सकती है बड़ा फैसला

@शब्द दूत ब्यूरो (12 अक्टूबर 2025)

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन के पीछे के कारणों की तलाश अब परिवार रजिस्टरों तक जा पहुंची है। सूत्रों के अनुसार, कई गांवों में मुस्लिम ग्राम प्रधानों द्वारा बाहरी राज्यों से आए अपने रिश्तेदारों के नाम षड्यंत्रपूर्वक परिवार रजिस्टरों में दर्ज करवा दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि ग्राम सभा के अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम वर्षों से जारी है, जिससे न केवल जनसंख्या का स्वरूप बदला बल्कि सरकारी योजनाओं और भूमि पर भी अवैध कब्जे हो गए हैं।

देहरादून जिले के पछुवा दून क्षेत्र समेत राज्य के अन्य मैदानी जिलों में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जानकारी के अनुसार, पछुवा दून के करीब 28 गांव पहले हिंदू बहुल थे, जो अब मुस्लिम बाहुल्य बन चुके हैं। यहां ऐसे उदाहरण सामने आए हैं कि किसी लड़की का निकाह उत्तराखंड से बाहर हुआ, लेकिन उसका नाम परिवार रजिस्टर से हटाने की बजाय उसके पति और बच्चों के नाम भी ग्राम प्रधानों की कृपा से दर्ज कर दिए गए। अब ये परिवार स्थानीय निवासियों की तरह सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जा भी कर चुके हैं।

सूत्र बताते हैं कि कुछ लोगों के नाम अन्य राज्यों के परिवार रजिस्टरों में भी दर्ज हैं, जिससे वे दोहरी सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। यही स्थिति अब राज्य में जनसंख्या असंतुलन का प्रमुख कारण मानी जा रही है।

गौरतलब है कि परिवार रजिस्टर नागरिक पहचान और सरकारी प्रमाणपत्रों का मूल दस्तावेज होता है, जिसके आधार पर जन्म, मृत्यु, निवास, राशन और अन्य प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में भी ऐसी गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं।

जानकारी के मुताबिक, बिहार में जब मतदाता सूची में ऐसे ही फर्जी नाम मिले थे, तब निर्वाचन आयोग ने एसआईआर लागू कर फर्जी प्रविष्टियों को हटाया था। अब उत्तराखंड सरकार भी इसी दिशा में कदम बढ़ा सकती है।

सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज शिकायतों ने इस मामले की गंभीरता को उजागर किया है। ग्राम पंचायत और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए अवलोकन में पाया गया है कि परिवार रजिस्टरों की जांच प्रणाली ही त्रुटिपूर्ण है, जिसका दुरुपयोग ग्राम प्रधानों और स्थानीय अधिकारियों ने किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को गहन जांच के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, शासन स्तर पर इस पर प्रभावी नीति बनाने के लिए पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक संगठनों से परामर्श किया जा रहा है। संभावना है कि आने वाले समय में राज्य सरकार परिवार रजिस्टर की समीक्षा और सत्यापन को लेकर कोई ठोस निर्णय ले सकती है।

 

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