@शब्द दूत ब्यूरो (04 अक्टूबर 2025)
देहरादून। बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप और औषधियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) की संयुक्त टीमें राज्य के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। यह कदम हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद उठाया गया है। राज्य सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तत्काल कार्रवाई प्रारंभ की है।
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी करते हुए भारत सरकार की एडवाइजरी को तत्काल प्रभाव से लागू कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई विषय नहीं है और औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से कफ सिरपों के नमूने एकत्र कर उनकी प्रयोगशाला जांच कराएं, ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तुरंत हटाया जा सके।
डॉ. आर. राजेश कुमार ने प्रदेश के चिकित्सकों से भी अपील की है कि वे केंद्र सरकार की एडवाइजरी का पालन करें और बच्चों को प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर ऐसे सिरप लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर उन्हें बेचेंगे, इसलिए चिकित्सकों को स्वयं जिम्मेदारी दिखानी होगी।
भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार, दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए। पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है। विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाएं चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित की गई हैं।
प्रदेश में एफ.डी.ए. के अपर आयुक्त एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में युद्धस्तर पर छापेमारी जारी है। उन्होंने देहरादून के जोगीवाला और मोहकमपुर क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया। सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर अस्पतालों और खुदरा दुकानों से सिरपों के नमूने लेकर प्रयोगशाला परीक्षण करवाएँ। ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि यदि किसी भी स्तर पर दोष पाया गया तो संबंधित कंपनी या विक्रेता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता की होनी चाहिए। सरकार औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र की एडवाइजरी का पूर्ण पालन कर रही है। बच्चों की दवाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चिकित्सकों और औषधि विक्रेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिबंधित सिरप न लिखें और न बेचें।
एफ.डी.ए. ने राज्यभर में कफ सिरप की सैंपलिंग शुरू कर दी है। ताजबर सिंह जग्गी ने जनता से अपील की है कि वे बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और यदि किसी दवा के सेवन से प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल से संपर्क करें।
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