@शब्द दूत ब्यूरो (29 सितंबर 2025)
देहरादून। उत्तराखंड में हाल के दिनों में पेपर लीक प्रकरण ने युवाओं के सपनों और भविष्य को गहरी चोट पहुंचाई है। मेहनत और परिश्रम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को जब इस तरह के घोटालों का सामना करना पड़ता है, तो उनके मन में असंतोष और आक्रोश स्वाभाविक है। यही कारण है कि राज्यभर में युवा सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं।
ऐसे माहौल में सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कदम उठाते हुए धरनास्थल पर पहुंचकर युवाओं से सीधा संवाद किया। मुख्यमंत्री ने मौके पर ही सभी मांगों को मानते हुए पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई जांच की संस्तुति की। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रियाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए युवाओं द्वारा दिए गए सभी सुझावों पर विशेष कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं को आश्वस्त करते हुए कहा, “यह चर्चा मैं चाहूं तो दफ्तर में भी कर सकता था, लेकिन अपने भाई-बहनों और बच्चों के बीच आकर उनकी बात सुनना मेरा कर्तव्य है। मैं आप सबके साथ हूं। अपने जीते-जी उत्तराखंड के युवाओं के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।”
मुख्यमंत्री के इस कदम से धरने पर बैठे युवाओं में उत्साह और विश्वास की नई लहर दौड़ गई। युवाओं ने आभार जताते हुए कहा कि धामी ने एक बार फिर साबित किया है कि वह सचमुच जनता के मुख्यमंत्री हैं।
यह घटना सरकार और युवाओं के बीच विश्वास की डोर को मजबूत करने वाली साबित हुई है। सरकार ने जहां सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता का भरोसा दिया है, वहीं युवाओं को भी आंदोलन को सकारात्मक दिशा में बदलने का अवसर मिला है। आंदोलन लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है, लेकिन इसका उद्देश्य उत्पात नहीं बल्कि व्यवस्था सुधार होना चाहिए।
दरअसल, पेपर लीक जैसी घटनाएं संकट तो खड़ा करती हैं, लेकिन इन्हीं के बीच सुधार और बदलाव की नींव भी रखी जा सकती है। मुख्यमंत्री का यह रुख बताता है कि सरकार इस बार दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शने के मूड में नहीं है। अब जरूरत इस बात की है कि सरकार और युवा मिलकर ऐसी पारदर्शी परीक्षा प्रणाली खड़ी करें, जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकें।
पेपर लीक प्रकरण से उपजी पीड़ा अब बदलाव का अवसर बन सकती है। यदि सरकार और युवा साथ चलते हैं, तो यह संकट उत्तराखंड के लिए सकारात्मक परिवर्तन की आधारशिला साबित होगा।
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