@शब्द दूत ब्यूरो (24 सितंबर 2025)
देहरादून। उत्तराखंड में हाल ही में सामने आए पेपर लीक प्रकरण पर राज्य सरकार ने गंभीर रुख अपनाया है। मुख्य सचिव आनंदवर्धन ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता कर कहा कि परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि गत 21 सितंबर को अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा की गहन जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) स्तर के अधिकारी करेंगे और इसकी कार्यप्रणाली की निगरानी माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। यह जांच दल पूरे प्रदेश में काम करेगा तथा सभी जिलों से जुड़े तथ्यों और सूचनाओं को परखेगा। कोई भी व्यक्ति यदि इस मामले से संबंधित सूचना या साक्ष्य देना चाहता है तो वह सीधे एसआईटी या माननीय न्यायाधीश को उपलब्ध करा सकता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जांच प्रक्रिया एक माह के भीतर पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। तब तक आयोग से अनुरोध किया जाएगा कि 21 सितंबर की परीक्षा से संबंधित किसी भी प्रकार की अग्रिम कार्रवाई, परिणाम घोषित करना अथवा अगला चरण शुरू करना स्थगित रखा जाए। दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी होगी। परीक्षा केंद्रों की भूमिका, पर्यवेक्षकों और निरीक्षकों की लापरवाही, तकनीकी खामियां, जैमर की कार्यप्रणाली और अन्य व्यवस्थाओं से जुड़े सभी पहलुओं को एसआईटी की जांच के दायरे में शामिल किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने कहा कि “छात्रों और अभ्यर्थियों का हित सर्वोपरि है। उनकी मेहनत और विश्वास पर आंच न आए, इसके लिए राज्य सरकार हरसंभव कदम उठाएगी।” उन्होंने यह भी बताया कि एसआईटी जल्द ही अपनी आधिकारिक संपर्क व्यवस्था जारी करेगी, जिससे अभ्यर्थी और आम नागरिक अपनी सूचना सीधे साझा कर सकेंगे।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से ले रही है और जांच पूरी तरह पारदर्शी होगी। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। पत्रकार वार्ता में पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ भी मौजूद रहे। 
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