@शब्द दूत ब्यूरो (19 सितंबर 2025)
काशीपुर। अक्सर देखा जाता है कि जब किसी महिला को राजनीति में अवसर मिलता है, खासकर पार्षद जैसे पद पर, तो उसके पति स्वतः ही “पार्षद पति” बनकर सार्वजनिक जीवन के कार्यों में आगे आ जाते हैं और महिला प्रतिनिधि घर की चारदीवारी तक सीमित रह जाती है। लेकिन काशीपुर नगर निगम की पार्षद वैशाली गुप्ता इस धारणा को तोड़ते हुए सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं।
वैशाली गुप्ता का कहना है कि जब वे पहली बार पार्षद बनीं तो उनके पति संजीव गुप्ता ने उन्हें केवल नैतिक समर्थन दिया, लेकिन कभी उनके काम में दखल नहीं दिया। निगम से जुड़े हर मामले में उन्हें ही आगे भेजा गया और उन्होंने वार्ड की सफाई व्यवस्था से लेकर सड़कों को दुरूस्त करने का जिम्मा खुद संभाला। वैशाली का कहना है कि उनके पति ने न कभी उन्हें रोका, न किसी तरह से बांधा और न ही दबाव डाला।
वैशाली गुप्ता घर और राजनीति दोनों की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। वे नियमित रूप से पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेती हैं और वार्ड की समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम में सक्रिय रहती हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू जीवन और सार्वजनिक जीवन के बीच सामंजस्य बैठाने में कभी दिक्कत नहीं आई। वे घर का काम खुद करती हैं और जनता की सेवा में भी पूरा समय देती हैं।
पार्षद के पति संजीव गुप्ता, जो खुद व्यापारी हैं, कहते हैं कि जब लोग उनसे निगम से जुड़े मामलों में संपर्क करते हैं तो वे उन्हें सीधे वैशाली गुप्ता के पास भेजते हैं। उनका मानना है कि यदि महिला सक्षम है तो उसे ही प्रतिनिधित्व करना चाहिए, उसके स्थान पर पति का हस्तक्षेप अनुचित है। संजीव गुप्ता का स्पष्ट संदेश है कि महिलाओं को राजनीति, सामाजिक कार्य और हर क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए।
वैशाली गुप्ता की सक्रियता और स्वतंत्र कार्यशैली काशीपुर नगर निगम में महिला जनप्रतिनिधियों के लिए एक नई मिसाल पेश कर रही है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि विश्वास और संकल्प हो तो महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है।
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