@शब्द दूत ब्यूरो (12 सितंबर 2025)
काशीपुर। लगातार खुलासों का दावा करने वाली स्थानीय पुलिस पिछले साल 3 जून 2024 को हुई चोरी का खुलासा तो तब करती जब वह उसकी रिपोर्ट दर्ज करती। जी हाँ ये अनोखा मामला सामने आया है। पीड़ित बुजुर्ग पिछले डेढ़ साल से थानों कोतवाली और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगा रहा है लेकिन थाना सीमा विवाद में उलझी पुलिस रिपोर्ट लिखने में आनाकानी कर रही है।
काशीपुर। शहर के नींझड़ा कॉलोनी, गणेश नगर वार्ड नंबर-1 निवासी अनिल कुमार बड़थ्वाल पिछले डेढ़ साल से अपने घर हुई चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाने और पुलिस अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई।
अनिल बड़थ्वाल ने आज बताया कि उनके घर 3 जून 2024 की रात चोरों ने धावा बोला और करीब पाँच लाख रुपये मूल्य की ज्वैलरी व नकदी उड़ा ले गए। घटना के बाद उन्होंने तत्काल 112 पर कॉल किया, जिस पर पुलिस मौके पर पहुँची और औपचारिक छानबीन कर लौट गई। अगले दिन अनिल ने आईटीआई थाने में लिखित तहरीर दी, लेकिन वहाँ मामला कुंडेश्वरी थाना क्षेत्र का बताते हुए टाल दिया गया। कुंडेश्वरी थाना पुलिस ने भी मामले को आईटीआई क्षेत्र में होना बताते हुए रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार कर दिया।
अनिल कुमार का कहना है कि उन्होंने कई बार आईटीआई व कुंडेश्वरी थानों का चक्कर लगाया, लेकिन दोनों ही थानों की पुलिस जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालती रही। इतना ही नहीं, उन्होंने एसएसपी से लेकर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि स्थानीय पार्षद और महापौर ने भी मामले को आईटीआई थाना क्षेत्र का बताया, परंतु रिपोर्ट फिर भी दर्ज नहीं की गई। यहाँ तक कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के हर मंगलवार को लगने वाले जनता दरबार में भी वह अर्जी दे चुके हैं।
लगातार उपेक्षा से परेशान होकर अनिल बड़थ्वाल ने अब मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि पुलिस जहाँ अपराधों के खुलासे के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं उनके साथ हुई लाखों की चोरी तक की रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि चोरी जैसे गंभीर मामलों में भी पीड़ितों को महीनों तक थाने-दर-थाने भटकना पड़े, तो आम आदमी न्याय की उम्मीद किससे करे?
यह मामला न केवल पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि इस पर भी सवाल खड़े करता है कि आखिर एक साधारण चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए किसी नागरिक को डेढ़ साल तक क्यों भटकना पड़ा।
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