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देहरादून :भ्रष्टाचार और घोटालों का गढ़ बना श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल ट्रस्ट,क्या सरकारी संरक्षण है?

@शब्द दूत ब्यूरो (12  सितंबर 2025)

देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर भ्रष्टाचार का काला चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है। श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज ट्रस्ट और इसके विवादित ट्रस्टी डॉ. अतुल भटनागर पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं। हत्या जैसे जघन्य अपराध (धारा 302/120बी आईपीसी) में चार्जशीटेड डॉ. भटनागर के खिलाफ सीबीआई जांच लंबित है, इसके बावजूद उन्हें सरकारी संरक्षण मिलने का आरोप है।

मेडिकल शिक्षा विभाग ने ट्रस्ट पर 300 एमबीबीएस छात्रों से धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के लिए ₹97.63 करोड़ का जुर्माना ठोका था। छात्रों को जबरन अन्य सरकारी कॉलेजों में शिफ्ट करना पड़ा, जिससे राज्य सरकार पर ₹117.6 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा। इसके बाद भी न तो जुर्माना वसूला गया और न ही ट्रस्ट पर ठोस कार्रवाई की गई।

ब्लैकलिस्टेड ट्रस्ट ने नाम बदलकर “गौतम बुद्ध चिकित्सक महाविद्यालय” खोलने की कोशिश की, लेकिन डीएम देहरादून व निदेशक चिकित्सा शिक्षा की टीम ने प्रस्ताव खारिज कर दिया। रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ट्रस्ट जिस भूमि पर कॉलेज खोलना चाहता है, उसका मालिक ही नहीं है।

हालांकि, सरकार और नेताओं की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। मंत्री मुन्ना सिंह चौहान और विधायक सहदेव पुंडीर इस ट्रस्ट से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होकर तस्वीरें खिंचवा रहे हैं। जनता सवाल उठा रही है कि जब राज्य आपदा राहत के लिए धन जुटा रहा है, तब ₹97 करोड़ की वसूली क्यों नहीं हो रही?

इसी ट्रस्ट से जुड़े एक अन्य नाम यशवर्धन पर हवाला कारोबार और IATA, Care Ratings व विभिन्न राज्य सरकारों को फर्जी बैलेंस शीट सौंपने के आरोप लगे हैं।

सूत्रों का कहना है कि अब यह मामला जनता और पार्टी हाईकमान दोनों के संज्ञान में है। हाईकमान ने संरक्षण देने वाले नेताओं की सूची बना ली है और संभव है कि आगामी चुनावों में ऐसे नेताओं के टिकट काट दिए जाएं। इससे पहले भी सुभारती  से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल नेताओं की राजनीतिक कुर्सी हिल चुकी है—हरक सिंह रावत और सुनील उनियाल गामा इसका उदाहरण बताए जा रहे हैं।

सुभारती मेडिकल कॉलेज विवादों का अड्डा बन चुका है। कुछ माह पूर्व यहां एक छात्र ने हॉस्टल में ही अपने साथी छात्र को चाकू से गोद दिया था। कोरोना काल में मरीजों के गहने चोरी होने की घटनाएं सामने आई थीं। अस्पताल के डॉक्टर पर महिला मरीज से छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ। हाल ही में एक सिख युवक की बिना अनुमति दाढ़ी और बाल काट दिए गए, जिससे बड़ा बवाल खड़ा हो गया।

इन घटनाओं ने ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब जनता साफ तौर पर जवाब चाहती है – आखिर हत्या जैसे मामलों में चार्जशीटेड व्यक्ति और घोटालेबाज ट्रस्ट को सरकारी संरक्षण क्यों? और ₹97 करोड़ की वसूली कब होगी?

 

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