देहरादून । जब सत्ता अपनी कमियों को छिपाना चाहती है तो मीडिया को उसका निशाना बनना पड़ता है। सत्ता यह भूल जाती है कि मीडिया उसके अच्छे कार्यों को प्रचारित करती है तो यह भी मीडिया का फर्ज है कि जनता को हो रही दिक्कतों को समाचार के माध्यम से जाहिर करे। पर सत्ता डर जाती है और मीडिया की आवाज को दबाने के लिए ताकत का उपयोग या दुरुपयोग करना शुरू कर देती है।
एक बेब पोर्टल न्यूज के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल की सत्ता के इशारे पर गिरफ्तारी करके यह जाहिर कर दिया सत्ता ने कि वह मीडिया के सच का सामना करने का साहस नहीं जुटा पाती। उसे वही मीडिया पसंद है जो उसके पक्ष की बात करे। जनता के दुख और तकलीफ की बात करने वाला मीडिया सरकार को तनिक भी नहीं भाता। और हर सरकार ऐसा ही करती आयी है। चेहरे सत्ता में बदल जाते हैं। पर सत्ता का चरित्र नहीं बदलता। और यह वर्तमान उत्तराखंड सरकार पर भी सही बैठता है।