@शब्द दूत ब्यूरो (10 सितंबर 2025)
देहरादून। उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति वजीफा घोटाले की जांच अब एसआईटी के हवाले कर दी गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की पहली बैठक पुलिस महानिरीक्षक डॉ. निलेश आनंद भरणे की अध्यक्षता में हुई, जिसमें अल्पसंख्यक विभाग और प्रभावित जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में पांच जिलों के अधिकारियों को तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए।
मामला तब गहराया जब केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर उत्तराखंड की 92 संस्थाओं ने छात्रों के नाम दर्ज किए थे, जिनमें से 17 संस्थाओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच में सामने आया कि उधम सिंह नगर के किच्छा क्षेत्र में सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल नामक संस्था फर्जी निकली, जबकि वहां केवल विद्याभारती द्वारा संचालित माध्यमिक विद्यालय मौजूद है। इसी तरह रुद्रप्रयाग के वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय के नाम पर भी संदिग्ध दस्तावेज दर्ज पाए गए, जहां बंगाल की छात्राओं के कागजात दाखिल किए गए थे।
उधम सिंह नगर में 796 छात्रों में से 456 नाम फर्जी निकले हैं, वहीं नैनीताल और हरिद्वार जिलों के कई विद्यालयों में भी गड़बड़ियों के संकेत मिले हैं। ज्यादातर फर्जी संस्थाएं एक विशेष समुदाय से जुड़े लोगों द्वारा संचालित बताई जा रही हैं, जिन्होंने आधार कार्ड और अन्य कागजातों के जरिए फर्जी नाम दर्ज कर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी।
अब जांच इस बात पर भी केंद्रित है कि इन मामलों में स्थानीय स्तर पर अल्पसंख्यक और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की भूमिका क्या रही। केंद्र ने 7 बिंदुओं पर विस्तृत जांच और फर्जी संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। नैनीताल में इसी क्रम में 13 जून को दो मामले दर्ज भी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि शिशुमंदिर जैसी सनातनी संस्थाओं के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति हड़पने के मामले बेहद गंभीर हैं, इसलिए सरकार ने एसआईटी गठित कर गहन जांच शुरू की है और रिपोर्ट आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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