@शब्द दूत ब्यूरो (08 सितंबर 2025)
काशीपुर। सात साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद तैयार हुआ काशीपुर का फ्लाईओवर किसी अजूबे से कम नहीं साबित हो रहा है। खास बात यह रही कि इसका कोई औपचारिक उद्घाटन तक नहीं हुआ और इसे सीधे जनता के लिए खोल दिया गया। फ्लाईओवर बनने के बाद साफ कहा गया था कि इसकी संरचना भारी वाहनों के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए उन पर रोक रहेगी। एहतियातन हाईट बैरियर भी लगाए गए, लेकिन हालात इसके ठीक उलट होते चले गए।
बहरहाल आज शाम को सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की शहर के प्रबुद्धजनों से विचार विमर्श होना प्रस्तावित है। क्या स्थानीय प्रशासन की इस लापरवाही पर भी इस फ्लाईओवर का मुद्दा उठाया जायेगा या नहीं। ये अपने आप में बड़ा सवाल है।
कई बार वाहन इन हाईट बैरियर से टकराए, जिससे वे क्षतिग्रस्त होते रहे और आखिरकार हटा दिए गए। नतीजा यह हुआ कि प्रतिबंधित होने के बावजूद अब दिन-रात भारी वाहन फ्लाईओवर से गुजर रहे हैं। फ्लाईओवर का निर्माण मूल रूप से इस उद्देश्य से किया गया था कि शहर के भीतर बड़े और भारी वाहनों से लगने वाले जाम से जनता को राहत मिल सके। लेकिन भारी वाहनों पर पाबंदी के कारण समस्या जस की तस बनी रही।
स्थिति तब और चिंताजनक हो गई जब कुछ समय पहले महाराणा प्रताप चौक के पास फ्लाईओवर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। आनन-फानन में मरम्मत तो कर दी गई और जांच की बात भी कही गई, मगर आज तक यह सामने नहीं आया कि दोषी कौन था और जांच का नतीजा क्या रहा?
अब जबकि हाईट बैरियर हटा दिए गए हैं, फ्लाईओवर पर भारी वाहनों की आवाजाही बेधड़क जारी है। नतीजतन यह फ्लाईओवर, जिसे शहर की ट्रैफिक समस्या का समाधान माना जा रहा था, खुद सवालों के घेरे में है। लोग इसे मज़ाक में “अनोखा फ्लाईओवर” कहने लगे हैं।
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