@शब्द दूत ब्यूरो (06 सितंबर 2025)
अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने एक तीखे बयान में कहा है कि भारत एक से दो महीने के भीतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ माफी मांगते हुए व्यापार समझौता करेगा। लुटनिक का कहना है कि भारत की मौजूदा रणनीति केवल “ब्रावाडो” है जो लंबे समय तक टिक नहीं पाएगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत ब्रिक्स के साथ अधिक निकटता, रूस से सस्ते तेल की खरीद और अमेरिकी बाजार की अनदेखी करता रहा, तो उसे 50% तक के टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। उनके अनुसार, “भारत और चीन एक-दूसरे को अपने सामान नहीं बेच सकते। अंततः उन्हें अमेरिकी उपभोक्ता बाजार की ओर लौटना ही होगा।”
लुटनिक ने कनाडा का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने भी शुरू में अमेरिका से दूरी बनाई थी लेकिन कारोबारी दबाव के कारण अंततः समझौते की राह पर लौट आया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी ग्राहक शक्ति है, और कोई भी उद्योग इस ग्राहक के बिना जीवित नहीं रह सकता।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने ब्रिक्स मंच पर अपनी सक्रिय भूमिका बनाए रखी है और रूस से तेल आयात को भी जारी रखा है। दूसरी ओर, अमेरिका ने भारत पर पहले से ही उच्च टैरिफ लगाए हुए हैं। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में संकेत दिया था कि नवंबर तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) संभव हो सकता है, लेकिन अमेरिकी पक्ष से अब तक कोई औपचारिक तारीख तय नहीं की गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका अपने टैरिफ बढ़ाता है तो इसका सीधा असर भारत के निर्यात उद्योगों पर पड़ेगा, खासकर टेक्सटाइल, स्टील, और दवाइयों पर। वहीं, भारत भी अमेरिकी आईटी और सेवा क्षेत्र पर दबाव बना सकता है। लेकिन चूंकि अमेरिकी बाजार दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता आधार है, इसलिए भारत पर वापसी का दबाव बढ़ना तय माना जा रहा है।
हावर्ड लुटनिक का बयान स्पष्ट करता है कि ट्रम्प प्रशासन भारत से रियायत की उम्मीद कर रहा है। अब यह भारत की कूटनीतिक और आर्थिक रणनीति पर निर्भर करेगा कि वह 50% टैरिफ के खतरे से बचने के लिए समझौते की राह चुनता है या ब्रिक्स और रूस के साथ मजबूत व्यापारिक समीकरण बनाए रखता है।
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