@शब्द दूत ब्यूरो (22 अगस्त 2025)
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी एक बार फिर मेडिकल शिक्षा में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले से हिल गई है। गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय, जिसे महायान थेरवाद वज्रयान ट्रस्ट (MTVT ट्रस्ट) संचालित करता है, पर वित्तीय और शैक्षणिक अभिलेखों में गंभीर अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोप सामने आए हैं। इस मामले में पहले ही उत्तराखंड सरकार ₹97 करोड़ का जुर्माना लगा चुकी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में सुभारती मेडिकल कॉलेज को सील कर 300 छात्रों को अन्य संस्थानों में शिफ्ट करने का आदेश दिया था, जिससे राज्य पर ₹133 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा था।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा उत्तराखंड निदेशालय चिकित्सा शिक्षा पहले ही इस मामले में नोटिस और जांच जारी कर चुके हैं। आरोप है कि संस्थान ने अनिवार्य निरीक्षण के बिना केवल शपथपत्रों के आधार पर अनुमति प्राप्त की थी। आरटीआई के जरिये सामने आए दस्तावेजों से पता चला है कि पूर्व जांच समिति ने केवल राजस्व और बैंक ऋण तक ही जांच सीमित रखी थी और अन्य गंभीर अनियमितताओं को नजरअंदाज कर दिया।
नया मोड़ तब आया जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने 24 फरवरी 2025 को इस प्रकरण की विस्तृत शिकायत पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र को उच्च स्तरीय जांच हेतु भेजी। एसएसपी की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मामला भूमि, बैंक फाइनेंसिंग, झूठे शपथपत्र और छात्रों से धोखाधड़ी से जुड़ा है, इसलिए व्यापक जांच जरूरी है। इसके बाद यह मामला शासन स्तर तक पहुंच चुका है और नए सिरे से जांच के आदेश दिए गए हैं।
इधर, 21 अगस्त 2025 को उत्तराखंड सरकार ने भी विशेष जांच समिति गठित कर तत्काल रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। दूसरी ओर, सैकड़ों एमबीबीएस छात्र और उनके अभिभावक आक्रोशित हैं तथा इस पूरे घोटाले की सीबीआई और ईडी से जांच कराने, MTVT ट्रस्ट और सुभारती विश्वविद्यालय अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने और ₹133 करोड़ व ₹97 करोड़ की वसूली सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सिर्फ शिक्षा जगत की साख पर ही नहीं, बल्कि छात्रों और राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा आघात है। जनता अब इस घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदार लोगों पर कठोर कार्रवाई की उम्मीद कर रही है।
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