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दुखद : श्रीराम सेना नेता ने मुस्लिम प्रिंसिपल को हटवाने के लिए रची ज़हरीली साजिश, स्कूल के पानी में मिलाया गया जहर, 41 छात्र बाल-बाल बचे, तीन गिरफ्तार

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सागर पाटिल लंबे समय से उक्त प्रिंसिपल के खिलाफ सांप्रदायिक आधार पर द्वेष रखता था। वह नहीं चाहता था कि किसी मुस्लिम व्यक्ति के नेतृत्व में स्कूल का संचालन हो।

@शब्द दूत ब्यूरो (03 अगस्त 2025)

कर्नाटक से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव को झकझोर कर रख दिया है। बेलगावी जिले के रामदुर्ग तालुक स्थित एक स्कूल में श्रीराम सेना के स्थानीय अध्यक्ष सागर पाटिल ने मुस्लिम प्रिंसिपल को हटाने के इरादे से एक भयावह साजिश रची। उसने स्कूल के पीने के पानी की टंकी में जहर मिलवा दिया, जिससे स्कूल के 41 छात्र गंभीर खतरे में पड़ सकते थे। सौभाग्यवश समय रहते इस साजिश का भंडाफोड़ हो गया और किसी की जान नहीं गई।

पुलिस के अनुसार, सागर पाटिल अपने दो साथियों – कृष्णा मदार और नागन गौड़ा पाटिल – के साथ मिलकर इस साजिश को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था। इन तीनों ने मिलकर स्कूल की पानी की टंकी में जहर डाल दिया ताकि छात्रों के बीमार पड़ने या उनकी मौत के बाद स्कूल प्रशासन पर सवाल खड़े हों और मुस्लिम प्रिंसिपल का तबादला हो जाए।

प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सागर पाटिल लंबे समय से उक्त प्रिंसिपल के खिलाफ सांप्रदायिक आधार पर द्वेष रखता था। वह नहीं चाहता था कि किसी मुस्लिम व्यक्ति के नेतृत्व में स्कूल का संचालन हो। इसी दुर्भावना के चलते उसने छात्रों की जान जोखिम में डालते हुए इस घृणित साजिश को अंजाम देने की कोशिश की।

स्थानीय प्रशासन की तत्परता और स्कूल स्टाफ की सजगता से बच्चों को समय रहते इस जहरीले पानी से बचा लिया गया। पानी में कुछ अजीब सी गंध आने पर संदेह हुआ और पानी की जांच कराई गई, जिसमें जहर की पुष्टि हुई। इसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, जिन्होंने कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

बेलगावी जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी सागर पाटिल और उसके सहयोगियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच विशेष सतर्कता और गंभीरता से की जा रही है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की सांप्रदायिक साजिशें शिक्षा संस्थानों में दोहराई न जा सकें।

इस घटना के बाद राज्य भर में रोष व्याप्त है। विभिन्न शिक्षकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि दोषियों को कठोरतम सजा दी जाए और स्कूलों को सांप्रदायिक राजनीति से दूर रखा जाए। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि आखिर कैसे कट्टरपंथी संगठन बच्चों की जान तक को हथियार बनाकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।

कर्नाटक सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि स्कूलों में सुरक्षा उपायों को और सुदृढ़ किया जाएगा तथा इस तरह के मामलों को रोकने के लिए प्रशासनिक सतर्कता बढ़ाई जाएगी।

यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की चुनौती है, बल्कि समाज की उस मानसिकता पर भी सवाल उठाती है, जो धर्म के नाम पर शिक्षा को भी दूषित करने से नहीं चूकती। समय की मांग है कि शिक्षा को हर प्रकार के कट्टरपंथ और नफरत से मुक्त रखा जाए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

 

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