@शब्द दूत ब्यूरो (02 अगस्त 2025)
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में जुट गए हैं। भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद ट्रंप ने अब भारत-रूस तेल व्यापार को लेकर भ्रामक दावा किया है। उन्होंने कहा कि “मैंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।” यह बयान न केवल असत्यापित जानकारी पर आधारित है, बल्कि स्वयं ट्रंप के कथन से स्पष्ट है कि वे इस विषय पर पूर्ण रूप से आश्वस्त नहीं हैं।
ट्रंप का यह कथन ऐसे समय आया है जब अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर है, और भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को लेकर मजबूती से खड़ा है। ट्रंप के इस दावे को भारत सरकार ने न तो औपचारिक रूप से स्वीकारा और न ही स्पष्ट रूप से खंडन किया है।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जब इस पर प्रतिक्रिया दी तो उन्होंने केवल इतना कहा कि “इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।” विदेश मंत्रालय के इस बयान से स्पष्ट है कि भारत ने ट्रंप के दावे को कोई आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन साथ ही इसका खंडन भी सीधे तौर पर नहीं किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान अमेरिकी घरेलू राजनीति और चुनावी रणनीति से प्रेरित हो सकता है। वे भारत जैसे देशों के प्रति सख्त रुख दिखाकर अपने राष्ट्रवादी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, भारत लंबे समय से रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदता आ रहा है और यह उसका आंतरिक व आर्थिक स्वायत्तता से जुड़ा निर्णय है।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों की चेतावनियों के बावजूद भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा है और ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए हर स्तर पर अपने हितों की रक्षा की है।
ट्रंप का यह नया बयान इसी कड़ी में देखा जा रहा है कि किस तरह अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर बिना पुष्टि के दावे कर राजनीतिक माहौल को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। भारत ने अभी तक रूस से तेल खरीद पर कोई नई नीति परिवर्तन की घोषणा नहीं की है।
ट्रंप के बयान से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि उनका उद्देश्य भारत के स्वतंत्र नीतिगत निर्णयों पर प्रश्नचिह्न खड़ा करना है। भारत सरकार की चुप्पी रणनीतिक है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझने की ज़रूरत है कि तेल खरीद जैसे मसले संप्रभु राष्ट्रों के आर्थिक हित से जुड़े होते हैं, न कि अफवाहों से।
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