@शब्द दूत ब्यूरो (01 अगस्त 2025)
देहरादून। उत्तराखंड में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों को अगर देखा जाए तो कांग्रेस का प्रदर्शन पहले के मुकाबले कुछ सुधरा है लेकिन धामी सरकार की नीतियों के चलते भाजपा ने इस चुनाव में भले ही आशातीत सफलता न प्राप्त की हो पर यह चुनाव पार्टी सिम्बल पर नहीं लड़ा जाता। कई स्थानों पर भाजपा के ऐसे प्रत्याशी जीते हैं जो स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में थे। जहां कांग्रेस के लिए ये चुनाव परिणाम संतोषजनक कहे जा सकते हैं वहीं भाजपा आज भी चुनावी रण में जीत हासिल करने वाली पार्टी है।
अधिकतर युवाओं ने जीत का परचम लहरा कर एक नया संदेश दिया है और भाजपा के युवा नेतृत्व की परिकल्पना को साकार किया है। मतदाताओं ने भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को व्यापक समर्थन देते हुए विकास और सुशासन के पक्ष में मतदान किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नेतृत्व वाली सरकार की जनहितकारी योजनाओं और जमीनी स्तर पर काम करने की छवि ने सत्तारूढ़ दल के पक्ष में माहौल बनाया।
राज्य के विभिन्न जिलों से प्राप्त परिणामों के अनुसार, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत की सीटों पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की अच्छी-खासी जीत हुई है। हालांकि पंचायत चुनावों में प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते हैं, लेकिन उनके राजनीतिक झुकाव और स्थानीय स्तर पर पार्टी संरचना की सक्रियता किसी से छिपी नहीं रहती।
विशेष रूप से कुमाऊँ मंडल के नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और चंपावत में भाजपा समर्थकों ने बड़ी संख्या में जीत दर्ज की है, जबकि गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी और रुद्रप्रयाग जिलों में भी पार्टी की स्थिति मजबूत रही। कई जगहों पर भाजपा समर्थित महिला उम्मीदवारों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। हां, कुछ जगहों पर भाजपा के दिग्गज नेताओं के करीबी इस चुनाव में बुरी तरह और अप्रत्याशित रूप से हारे हैं। उनकी यह हार उनकी व्यक्तिगत छवि के चलते मानी जा रही है। यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी जगहों पर भाजपा को अपने दिग्गज नेताओं के रिपोर्ट कार्ड का विश्लेषण करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह चुनाव परिणाम 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए संकेतक माने जा सकते हैं। पंचायत स्तर पर पार्टी की मजबूत पकड़ यह दर्शाती है कि धामी सरकार की योजनाएं ग्रामीण जनता तक प्रभावी रूप से पहुंची हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल पंचायत चुनावों में अपनी स्थिति को काफी हद तक सुधार पाने में कामयाब हो गये। जहां भाजपा समर्थित प्रत्याशी स्थानीय लोगों में अपनी छवि बना पाने में नाकामयाब साबित हुये वहाँ हार का मुंह देखना पड़ है।
पंचायत चुनावों की इस जीत को भाजपा कार्यकर्ता “जनता की परीक्षा में पास होती सरकार” की संज्ञा दे रहे हैं। गांवों से लेकर कस्बों तक जमीनी कार्यकर्ता इस परिणाम से उत्साहित हैं और 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं।
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