@शब्द दूत ब्यूरो (30 जुलाई 2025)
वाशिंग्टन। ट्रम्प ने घोषणा की कि 1 अगस्त 2025 से भारत से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू होगा। इसके अलावा, भारत की रूस से ऊर्जा और सैन्य उपकरण की खरीद को लेकर एक अतिरिक्त “पेनल्टी” भी दी जाएगी ।
इसका कारण यह बताया जा रहा है कि ट्रेड वार्ता तय समय-सीमा तक नहीं हो सकी और भारत की ऊँची टैरिफ तथा व्यापार बाधाएं अमेरिकी हितों के लिए हानिकारक मानी गईं। ट्रम्प ने इसे एक “व्यापार सुधारात्मक उपाय” बताया ।
ट्रम्प ने भारत को “दोस्त” माना, फिर भी कठोर रुख अपनाया
ट्रम्प ने सोशल प्लेटफॉर्म Truth Social पर कहा:
> “भारत हमारा मित्र है, पर हमने वर्षों में उनके साथ व्यापार बहुत कम किया है क्योंकि उनके उच्च टैरिफ विश्व‑स्तरीय हैं।”
उन्होंने भारत के व्यापार अवरोधों की भी आलोचना की ।
इसके प्रभाव से भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ₹87 के पार गया, विदेशी निवेश में बहिर्वाह तेज़ हुआ। किंगडम वॉशिंगटन सेंटर के विश्लेषण के अनुसार इस तरह के टैरिफ अमेरिकी विनिर्माण लागत को 2%–4.5% तक बढ़ा सकते हैं, जिससे रोजगार, वेतन वृद्धि और नई तकनीक जैसे AI निवेशों पर भी असर पड़ सकता है ।
कुछ देशों जैसे जापान, इंडोनेशिया और EU के साथ अमेरिका ने पूर्व में व्यापार समझौते कर लिए हैं। लेकिन भारत अभी तक किसी नयी व्यापार तालिका पर सहमत नहीं हुआ, जिससे यह टैरिफ सौदे को और अधिक जटिल बना रहा है।
विदेश व्यापार आयोग के डेटा के अनुसार, भारत का लगभग 87 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को प्रभावित हो सकता है, जिसमें फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रमुख हैं ।
अमेरिका और भारत अब सितंबर–अक्टूबर तक एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं।भारतीय रिजर्व बैंक यदि आवश्यक समझे तो मुद्रा गिरावट को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है ।
ट्रम्प द्वारा भारत पर टैरिफ लगाना न केवल द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक व्यापार संकट की चेतावनी भी दे रहा है। इस कदम से दोनों देशों को बातचीत की नई योजनाओं पर पुनर्विचार करना होगा।
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