@शब्द दूत ब्यूरो (30 जुलाई 2025)
शाहजहांपुर। पुवायां तहसील में तैनात नए एसडीएम रिंकू सिंह राही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वे कान पकड़कर उठक-बैठक करते दिखाई दे रहे हैं। यह दृश्य जिसने भी देखा, चौंक गया। बताया गया कि पुवायां एसडीएम का कार्यभार उन्होंने उसी दिन संभाला था। तहसील परिसर में खुले में शौच कर रहे एक मुंशी पर कार्रवाई को लेकर वकीलों में गुस्सा था। माहौल को शांत करने के लिए अफसर रिंकू राही ने खुद ही कान पकड़कर उठक-बैठक कर दी, जिससे मामला शांत हो गया।
लेकिन इस वायरल वीडियो के पीछे जो कहानी है, वह किसी जज्बे और ज़िंदादिली की मिसाल से कम नहीं। रिंकू राही वही अफसर हैं, जिन पर डेढ़ दशक पूर्व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के चलते दिनदहाड़े हमला हुआ था। साल 2004 की यूपीपीएससी परीक्षा पास कर रिंकू राही को जिला समाज कल्याण अधिकारी के रूप में तैनाती मिली। 2008 में उन्हें मुज़फ्फरनगर भेजा गया, जहां उन्हें 40 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जानकारी मिली।
उन्होंने भ्रष्टाचार की परतें खोलनी शुरू कीं, RTI का सहारा लिया, जांच करवाई — लेकिन भ्रष्ट तंत्र के सामने सब बेअसर रहा। 26 मार्च 2009 की सुबह जब वह बैडमिंटन खेल रहे थे, तभी बदमाशों ने उन पर छह गोलियां दाग दीं। इस जानलेवा हमले में उनका जबड़ा क्षतिग्रस्त हो गया और एक आंख की रोशनी चली गई। बाद की जांच में यह सामने आया कि समाज कल्याण विभाग के ही कुछ अधिकारियों के इशारे पर हमला हुआ था। सपा नेता मुकेश चौधरी और विभाग के सहायक लेखाकार अशोक कश्यप सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
हमले के तीन साल बाद मार्च 2012 में अखिलेश यादव सरकार ने मेरठ कमिश्नर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच समिति बनाई, लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। उल्टा राही को अलीगढ़ ट्रांसफर कर दिया गया। इस पर अन्ना आंदोलन के नेता अरविंद केजरीवाल ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि “भ्रष्टाचार, हत्या और हमले में सरकार की सीधी भागीदारी है” और राही को सुरक्षा देने में सरकार विफल रही है।
लेकिन रिंकू राही ने हार नहीं मानी। उन्होंने वर्षों की तपस्या के बाद वर्ष 2021 की यूपीएससी परीक्षा में 638वीं रैंक हासिल की। दिव्यांग श्रेणी में सफल होकर वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए और यूपी कैडर आवंटित हुआ।
आज वही रिंकू राही एक छोटे से विवाद को बड़ा रूप लेने से रोकने के लिए तहसील परिसर में उठक-बैठक करते दिखे। यह सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि उस अफसर की संवेदनशीलता और ज़मीन से जुड़े रहने की भावना का प्रतीक है, जिसने कभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत अपनी एक आंख और जबड़े से चुकाई थी।
रिंकू राही न सिर्फ अफसर हैं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और व्यवस्था में आम आदमी के विश्वास की एक जीवंत मिसाल भी हैं।
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