@मनोज कुमार अग्रवाल
हरिद्वार और बाराबंकी में 48 घंटे में दो मंदिर भगदड़ में 10 लोगों की मौत ने सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भीड़ नियंत्रण, अफवाह रोकथाम और आधी अधूरी तैयारी और आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद की अनुमानित गणना में भारी गड़बड़ी इन घटनाओं की वजह बन रहीं हैं।
हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह भगदड़ मच गई, जिसमें छह लोगों की मौत हुई है। जानकारी के मुताबिक कांवड़ यात्रा के बाद रास्ता खुलने से भारी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे और भीड़ की वजह से अफरा-तफरी मच गई। हादसे में 15 लोगों घायल भी हुए हैं। प्रशासन ने बताया कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मनसा देवी में मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर यह भगदड़ हुई है और प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर जल्द काबू पा लिया गया वरना मरने वालों की संख्या और अधिक बढ़ सकती थी । चश्मदीद के मुताबिक सीढ़ियों पर लगे बिजली के एक पिलर में शॉर्ट सर्किट की अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
सिर्फ एक दिन बाद ही इसी पैटर्न पर समान घटना उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सोमवार को एक मंदिर में मची भगदड़ में दो लोगों की मौत हो गई और 32 अन्य घायल हो गए। बंदरों द्वारा तोड़ा गया एक बिजली का तार टिन शेड पर गिर गया। यह घटना देश भर में धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक आयोजनों में हुई जानलेवा भगदड़ की श्रृंखला में नई है। इस साल अब तक मंदिरों, रेलवे स्टेशनों और महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में ऐसी त्रासदियों में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें यहघटना भी शामिल है।
देश में साल 2003 से लेकर अब तक 23 भगदड़ में 1446 लोगों की जानें गई हैं, जबकि हजारों लोग घायल हुए।
हाल के दिनों में धार्मिक स्थलों पर हुए भगदड़ की घटनाओं में कई लोगों के जान गंवानी पड़ी है।
29 जून, 2025 को पुरी में रथ यात्रा के दौरान देवताओं के रथों के पास भगदड़ मचने से दो महिलाओं सहित तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कम से कम 50 घायल हो गए।
03 मई, 2025 को शनिवार को उत्तरी गोवा में एक मंदिर में उत्सव के दौरान भगदड़ मचने से कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
08 जनवरी, 2025 को तिरुपति में भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, क्योंकि लोग तिरुमाला मंदिर में बैकुंठ एकादशी उत्सव के लिए टिकट लेने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे।
12 अगस्त, 2024 को बिहार के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर क्षेत्र में बाबा सिद्धनाथ मंदिर में भगदड़ मचने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और नौ घायल हो गए।
02 जुलाई, 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक ‘सत्संग’ के दौरान हुई भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई। यह भगदड़ बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ के समागम में हुई थी, जो एक पूर्व पुलिसकर्मी थे और दो दशक पहले धार्मिक उपदेशक बन गए थे और खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनके अनुयायी बढ़ गए थे।
31 मार्च, 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित ‘हवन’ कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन ‘बावड़ी’ या कुएं के ऊपर बनी स्लैब गिरने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई।
01 जनवरी, 2022 को जम्मू-कश्मीर में प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा घायल हो गए।
14 जुलाई, 2015 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम’ उत्सव के उद्घाटन के दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए।
03 अक्टूबर, 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मचने से 32 लोग मारे गए और 26 अन्य घायल हो गए।
13 अक्टूबर, 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान मची भगदड़ में 115 लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा घायल हो गए. भगदड़ इस अफ़वाह के कारण मची कि जिस नदी के पुल को श्रद्धालु पार कर रहे थे, वह टूटने वाला है।
19 नवंबर, 2012 को पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में करीब 20 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
14 जनवरी, 2011 को केरल के सबरीमाला मंदिर में भगदड़ में 106 तीर्थयात्री मारे गए, 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
04 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ मचने से लगभग 63 लोगों की मौत हो गई, क्योंकि लोग स्वयंभू बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए जमा हुए थे।
30 सितंबर, 2008 को राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह के कारण मची भगदड़ में लगभग 250 श्रद्धालु मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए।
03 अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाह के कारण मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए, 47 घायल हुए।
25 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से ज़्यादा श्रद्धालु कुचलकर मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। यह दुर्घटना तब हुई जब कुछ लोग नारियल तोड़ते समय फिसलन भरी सीढ़ियों पर गिर गए।
27 अगस्त, 2003 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ में 39 लोग मारे गए और लगभग 140 घायल हो गए।
हर साल कांवड यात्राओं में, गणेश विसर्जन कार्यक्रम के दौरान सैकड़ों अति उत्साही युवाओं की मौत के आंकड़े अलग हैं और उनकी तादाद हर बढ़ ही रही है। हर साल सैकड़ों जीवन असमय मृत्यु के शिकार बन रहे हैं ।
इन सब घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण और शर्मनाक स्थिति यह भी है कि हमारे श्रद्धालुओं में आपसी सद्व्यवहार परस्पर सुरक्षा की भावना और सिविल सैंस का बेहद अस्वीकार्य माहौल बनता है। उनमें एक दूसरे से पहले दर्शन या स्नान करने की होड़, अनियंत्रित भीड़ में घुसकर धार्मिक कार्य पूर्ण करने की आस्था और धैर्य व आपसी सहयोग के स्थान पर सिर्फ स्वार्थ या अपने बचाव के लिए संकल्पित होना बेहद गंभीर हैवानियत भरा व्यवहार है। जब स्थान की क्षमता से कई गुना अधिक तादाद में श्रद्धालु कथा सुनने, स्नान दर्शन करने या पुरी जैसे शोभा यात्रा कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपनी परिवार, महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा का आकलन करने के बाद भीड़ में घुसना चाहिए। प्रशासन को भी एक नियंत्रित संख्या में लोगों को जुटने की छूट देना चाहिए। साथ ही तमाम आकलन करने के बाद भीड नियंत्रित करने के पर्याप्त इंतजाम करना चाहिए। इस के अलावा सबसे ज्यादा जरूरी श्रद्धालुओं को संयम,धैर्य बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने के लिए बारंबार अवगत कराना है लेकिन सिर्फ श्रद्धालुओं से अधिकाधिक पर्यटन के जरिए रोजगार राजस्व जुटाने की मानसिकता में लगी सरकार और उसके तंत्र श्रद्धालुओं की जान की परवाह नहीं करते हैं यही वजह है कि कोई भी बड़ा आयोजन बिना हादसे के जनहानि के संपन्न नही हो रहा है।
*(विभूति फीचर्स)*
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