इस वायरल आडियो में जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकारी कर्मियों के प्रति व्यवहार और भाषा को लेकर सवाल खड़े हो चले हैं। सत्यापन का अभाव और अधिकारियों की प्रतिक्रिया न आने से मामले में नई बहस छिड़ सकती है।
@शब्द दूत ब्यूरो (28 जुलाई 2025)
पटना। मनेर से आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र और एक पंचायत सचिव के बीच हुई फोन कॉल की ऑडियो क्लिप आज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तीन‑मिनट की रिकॉर्डिंग में विधायक को सचिव को अपमानजनक और धमकी भरा संदेश देते हुए सुना जा सकता है।
📞 बातचीत की शुरुआत
विधायक ने सचिव को रिंकी देवी के पति अविनाश कुमार का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए कॉल किया। जब सचिव ने विधायक का परिचय नहीं पूछा और पहचानने से मना किया, तो विधायक तमतमा गए। उन्होंने कहा:
> “तुम मुझे नहीं पहचानते? मनेर के विधायक को नहीं पहचानता है? पूरा हिंदुस्तान जानता है…”
विधायक ने गुस्से में यह भी कहा:
> “जूते से मारेंगे तुम्हें खींच कर… रिकॉर्ड कर लो या कुछ कर लो…”
इस दौरान उन्होंने सचिव से कहा कि अगर वह नियम‑प्रोटोकॉल का ख्याल न रखे, तो ट्रांसफर से भी आगे की समस्या हो सकती है।
सचिव का जवाब: “आपसे डरने वाले नहीं”
हालांकि पंचायत सचिव शांत बने रहे। उन्होंने स्पष्ट कहा:
> “यदि आप प्रेम से बात करें, तो प्रेम से बतियाएंगे; टेढ़ी बात कीजिएगा तो टेढ़ा जवाब देंगे। आपसे डरने वाला कोई नहीं है।” भीड़ में ट्रांसफर की पेशकश करते हुए उन्होंने कहा, “आप जो करना चाहें, करिए।”
इस विवादकाल में यह ऑडियो ‘पंचायत’ वेब सीरीज की याद दिलाता रहा, जिसमें जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक कर्मचारी के बीच अक्सर टकरावों की कथा होती है। इस बातचीत में भी दोनों के बीच व्यंग्यात्मक व तीखी झड़प रही, जिससे मीडिया और सोशल मीडिया दोनों में तूल पकड़ा।
– ऑडियो अभी तक स्वतंत्र स्रोतों से सत्यापित नहीं हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे ‘कथित ऑडियो’ बताया गया है।
– विधायक भाई वीरेंद्र की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या सफाई सामने नहीं आई है।
बिहार विधानसभा के हालिया मानसून सत्र में भी विधायक भाई वीरेंद्र विवादों में रहे थे। कहा जाता है कि उन्होंने सदन में अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए कहा था, “विधानसभा किसी के बाप की नहीं है…”, जिसके बाद स्पीकर नंद किशोर यादव नराज हो गए और जब विधायक माफी नहीं मांगे तो स्पीकर ने सदन छोड़ दिया था।
यह वायरल क्लिप बिहार राजनैतिक परिदृश्य में एक नए विवाद का रूप ले चुकी है। इसमें जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकारी कर्मियों के प्रति व्यवहार और भाषा को लेकर सवाल खड़े हो चले हैं। सत्यापन का अभाव और अधिकारियों की प्रतिक्रिया न आने से मामले में नई बहस छिड़ सकती है।
डिस्क्लेमर – शब्ददूत इस वायरल आडियो क्लिप की पुष्टि नहीं करता है।
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