@शब्द दूत ब्यूरो (22 जुलाई 2025)
देहरादून। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में सामने आई भारी अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर पंजीकृत कुछ संस्थाओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के मामले को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री ने विशेष जांच टीम (SIT) के गठन के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुछ मदरसे, संस्कृत विद्यालय एवं अन्य शिक्षण संस्थानों ने फर्जी पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र और छात्रों की संख्या बढ़ाकर करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हड़पी है।
केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2021-22 व 2022-23 के दौरान राज्य की 92 संस्थाएं संदेह के घेरे में हैं। इनमें से 17 संस्थाओं के विरुद्ध प्राथमिक जांच में गबन की पुष्टि हो चुकी है। उधम सिंह नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल और रुद्रप्रयाग के वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय समेत नैनीताल, हरिद्वार और अन्य जनपदों की कई संस्थाएं जांच के दायरे में हैं।
“प्रदेश में छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
— पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड
मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित SIT न केवल इन संस्थाओं की भूमिका की गहराई से जांच करेगी, बल्कि संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत की भी समीक्षा करेगी। केंद्र सरकार ने इस जांच के लिए सात प्रमुख बिंदुओं को निर्धारित किया है, जिनमें फर्जी दस्तावेजों की पहचान, दोषियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करना, और वित्तीय गबन की रिकवरी शामिल है।
मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा है कि प्रदेश में कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग को किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा। दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।
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