@शब्द दूत ब्यूरो (18 जुलाई 2025)
काशीपुर। वर्ष 2024-25 की स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट ने एक बार फिर हमें आईना दिखा दिया है। एक समय बेहतर सफाई व्यवस्था और जनसहभागिता के लिए चर्चित काशीपुर इस बार देशभर की रैंकिंग में पिछड़ते हुये प्रदेश के नगर निगमों में आठवें स्थान पर खिसक गया। यहाँ तक कि नगरपालिकायें भी इससे ऊपर हैं। लेकिन सवाल यह है कि इसके लिए अकेले नगर निगम को कटघरे में खड़ा करना कितना उचित है?
जब हम अपने घरों की साफ-सफाई में किसी तरह की कोताही नहीं बरतते, जब हम अपने बगीचे की हर घास तक को संवारते हैं, तो फिर सड़क पर कूड़ा क्यों फेंकते हैं? आखिर शहर भी तो हमारा ही घर है—बस थोड़ा बड़ा। लेकिन अफसोस, इस बड़े घर की सफाई को हम पूरी तरह नगर निगम के भरोसे छोड़ देते हैं।
नगर निगम पर यह ज़िम्मेदारी जरूर है कि वह सफाई कर्मचारियों की तैनाती करे, नियमित कूड़ा उठवाए, नालियों की सफाई करवाए और कचरा निस्तारण की समुचित व्यवस्था करे। लेकिन यह काम तभी सफल हो सकता है जब नागरिक अपनी भूमिका को भी गंभीरता से निभाएं। क्या हममें से कोई यह सोचता है कि अगर सड़कों पर पान थूकना बंद हो जाए, प्लास्टिक के उपयोग को कम कर दिया जाए, सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ेदान का उपयोग किया जाए, तो शहर कितना साफ-सुथरा हो सकता है?
काशीपुर नगर निगम ने बीते एक वर्ष में कई पहल कीं—कूड़ा संग्रहण के लिए डोर-टू-डोर सेवा, वार्ड स्तर पर सफाई निरीक्षण, जनजागरूकता रैली, और स्कूलों में स्वच्छता अभियान। महापौर दीपक बाली ने स्वयं कई बार जलभराव और कचरे के खिलाफ अभियान की अगुवाई की। लेकिन नागरिक सहभागिता में वह उत्साह नहीं दिखा जो एक आदर्श नगर को चाहिए। कई वार्डों में कूड़ा घरों के आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है, क्योंकि लोग कूड़ा कूड़ेदान में डालने की बजाय सड़क पर फेंकना आसान समझते हैं।
इसके अलावा गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप, जलजनित बीमारियों का खतरा और वातावरण में बदबू जैसी समस्याएं हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही हैं। लेकिन तब भी हम सफाई को सिर्फ नगर निगम की जिम्मेदारी समझ कर खुद को दोषमुक्त मान लेते हैं।
अब समय आ गया है कि हम सभी नागरिक ‘स्वच्छता सिर्फ अभियान नहीं, जिम्मेदारी है’ इस सोच को आत्मसात करें। यदि हर नागरिक केवल अपने घर के सामने की सड़क को ही साफ रखने का संकल्प ले ले, तो स्वच्छता रैंकिंग क्या, हमारा शहर उदाहरण बन सकता है।
सरकारें योजनाएं बना सकती हैं, अधिकारी अमल कर सकते हैं, लेकिन जनजागरूकता और सामूहिक चेतना के बिना कोई भी अभियान सफल नहीं हो सकता। इसीलिए अब दोषारोपण से आगे बढ़कर आत्ममंथन करने की आवश्यकता है।
काशीपुर को फिर से स्वच्छता की शीर्ष श्रेणी में लाना है तो यह बदलाव घर-घर से शुरू करना होगा। गली-मोहल्ले की हर दीवार और नाली के किनारे से लेकर नगर निगम के कार्यालय तक, सबको साथ लेकर चलना होगा। तभी हम अगली स्वच्छता रैंकिंग में सिर्फ नंबर सुधारेंगे नहीं, बल्कि एक आदर्श नागरिक के तौर पर अपना कर्तव्य भी निभाएंगे।
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