नई दिल्ली। जहाँ एक ओर प्याज की बढ़ती कीमतों ने देश की जनता की आंखों से आंसू निकाल दिए हैं। वहीं दूसरी ओर प्याज की मांग और इसकी आसमान छूती कीमत से सरकार भी हलकान है। एक तरफ जहां सरकार प्याज के आयात से लेकर कीमतों पर काबू पाने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ, प्रवर्तन निदेशालय और इनकम टैक्स विभाग की मदद ले रही है, तो वहीं दूसरी तरफ नेफेड की लापरवाहियों के चलते बफर स्टॉक के आधे से भी ज्यादा प्याज खराब हो गए। सरकार की कोऑपरेटिव शाखा नेफेड के बदहाल स्टोरेज प्रबंधन के चलते 30,000 मीट्रिक टन प्याज फेंकने पड़ गए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक नेफेड ने प्याज का स्टॉक पुरानी पद्धति से स्टोर किया था, जबकि इसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाना चाहिए था। रिपोर्ट में उपभोक्ता मंत्रालय के एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि नेफेड द्वारा रखे गए तकरीबन 53 फीसदी प्याज का कोई इस्तेमाल नहीं रह गया है। अधिकारी ने बताया कि नेफेड को इस वर्ष के लिए लगभग 60,000 मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाना था, लेकिन वे केवल 57,372 मीट्रिक टन का स्टॉक ही तैयार कर पाए। इसमें से 48,183 मीट्रिक टन और 9,189 मीट्रिक टन क्रमशः महाराष्ट्र और गुजरात से थे।
रिपोर्ट में उपभोक्ता मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि प्याज की कीमतों के कंट्रोल करने के लिए आईटी विभाग को खास मुस्तैद रहने को कहा गया है। आईटी विभाग को होल-सेल डीलरों के अकाउंट बुक और उनके प्याज के स्टॉक की प्रॉपर पड़ताल करने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने बताया कि यदि तय मात्रा से अधिक प्याज होलसेल डीलर के पास से मिलता है, तो आईटी अधिकारी उसका माल जब्त कर सकते हैं।
इस दौरान आईबी और रॉ जैसी खुफिया एजेंसियों को प्याज की सप्लाई की तमाम प्रक्रियाओं पर नजर रखने के लिए कहा गया है। खुफिया एजेंसियां प्याज के बिजनस से लेकर इसके रख-रखाव तथा लोगों के विचारों पर भी नजर बनाए रखेंगी। आईबी और रॉ प्याज की एक राज्य से दूसरे राज्यों में कीमतों को भी ट्रैक करते रहेंगे।