एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 370 लोकसभा सीटों पर मतों की संख्या में ईवीएम ने भारी गड़बड़ी की और चुनाव आयोग ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में एडीआर की तरफ से देश की सबसे बड़ी अदालत में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में अदालत से गुहार लगाई गई है कि वो भारतीय चुनाव आयोग को यह निर्देश दें कि किसी चुनाव के परिणाम घोषित करने से पहले वो सटीक डाटा उपलब्ध कराएं कि कितने वोट पड़ें। याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी गुहार लगाई है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में डाटा को लेकर हुई तमाम विसंगतियों की जांच भी कराई जाए।
याचिकाकर्ता ने साल 2019 में चुनाव आयोग की तरफ से उपलब्ध कराए गए डाटा में त्रुटियां होने की बात कही है। कहा गया है कि 2014 के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद आयोग की वेबसाइट और उसके My Voters Turnout App पर जो वोटिंग डाटा उपलब्ध कराए गए थे उनमें कई बार बदलाव किये गये थे और हो सकता है कि यह बदलाव कमियों को छिपाने के लिए किया गया हो। याचिकाकर्ता ने कहा कि डाटा में किये गये बदलावों पर आयोग की तरफ से कुछ भी नहीं कहा गया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि विशेषज्ञों की टीम ने रिसर्च के बाद पाया है कि काउंटिंग के दौरान वोटों की कुल संख्या और ईवीएम में पड़े वोटों की कुल संख्या अलग-अलग निवार्चन क्षेत्रों में अलग-अलग थे। यह रिसर्च उसी डाटा के आधार पर किया गया था जो डाटा आयोग की तरफ से 28 मई 2019 और 30 जून 2019 को वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था।
याचिकर्ता ने अदालत में कहा है कि कुल 347 सीटों पर पड़ें कुल वोट और ईवीएम में पड़े वोटों की कुल संख्या में अंतर है। ऐसे 6 सीट है जहां वोटों की संख्या प्रत्याशी के जीते गए वोटों की संख्या से भी ज्यादा है। याचिकाकर्ता ने यूके, फ्रांस, पेरू और ब्राजील जैसे कुछ देशों का उदाहरण देते हुए कहा है कि इन देशों में चुनाव के परिणाम एक तय शुदा अथॉरिटी की जांच-परख के बाद ही घोषित किये जाते हैं।