@शब्द दूत डेस्क (23 जून 2025)
नई दिल्ली/तेहरान। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल बाजार में भारी हलचल देखी जा रही है। ऊर्जा आपूर्ति में संभावित बाधा की आशंका से सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ उछाल आया।
ब्रेंट क्रूड 2.2% बढ़कर $79.20 प्रति बैरल (₹6875.35) पर पहुंच गया, जबकि अमेरिकी क्रूड डब्ल्यूटीआई (WTI) 2.1% चढ़कर $75.98 प्रति बैरल (₹6595.82) पर दर्ज किया गया। यह वृद्धि उस समय देखने को मिली है जब खाड़ी क्षेत्र में तनाव चरम पर है और आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने का खतरा मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका-ईरान तनाव और गहराया और खाड़ी के तेल परिवहन मार्गों – विशेष रूप से स्ट्रेट ऑफ होर्मुज – में व्यवधान आया, तो तेल की कीमतों में $10 (₹868.10) प्रति बैरल तक की और बढ़ोतरी संभव है।
ऊर्जा विश्लेषक जॉन वुड्स का कहना है, “स्थिति बेहद संवेदनशील है। अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है या होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी को अंजाम तक ले जाता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा सीधे तौर पर प्रभावित होगा।”
भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है, क्योंकि इससे देश के चालू खाता घाटे, मुद्रास्फीति और खुदरा ईंधन की कीमतों पर सीधा असर पड़ सकता है।
वहीं, अमेरिकी रक्षा विभाग ने हमलों को “निवारक कार्रवाई” बताते हुए कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से सोचना चाहिए। जवाब में, ईरान ने अमेरिका को “गंभीर परिणामों” की चेतावनी दी है।
अब सबकी नजरें आने वाले दिनों में मध्य पूर्व में सैन्य गतिविधियों और तेल उत्पादक देशों की रणनीति पर टिकी हैं। बाजार फिलहाल अनिश्चितता के दौर में है, और निवेशक सतर्क मुद्रा में बने हुए हैं।
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