@शब्द दूत डेस्क (23 जून 2025)
नई दिल्ली/तेहरान। मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच ईरान द्वारा ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ को बंद करने की आशंका ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। यह जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे व्यस्त और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है, जिससे होकर प्रतिदिन करीब 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल गुजरता है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो अमेरिका, यूरोप और भारत सहित कई देशों की ऊर्जा सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज एक संकीर्ण जलमार्ग है जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ता है। यह ईरान और ओमान के बीच स्थित है और इसका सबसे संकीर्ण हिस्सा महज 33 किमी चौड़ा है। सऊदी अरब, कुवैत, इराक, यूएई, और कतर जैसे तेल उत्पादक देशों का कच्चा तेल इसी मार्ग से होकर विश्व बाजार तक पहुंचता है।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होते ही अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि तेल $150 प्रति बैरल से ऊपर जा सकता है।
भारत अपनी कच्चे तेल की ज़रूरतों का लगभग 60% हिस्सा इसी क्षेत्र से आयात करता है। इससे भारत का आयात बिल बढ़ेगा, महंगाई पर असर पड़ेगा और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है।
न केवल तेल, बल्कि गैस, पेट्रोकेमिकल्स और अन्य सामान की आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा। वैश्विक माल ढुलाई में बाधा आ सकती है।
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ ईरान के संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं, जिससे एक व्यापक सैन्य संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और भारत सहित कई देश कूटनीतिक स्तर पर सक्रिय हो गए हैं ताकि स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके। भारत ने क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने की अपील की है।
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को लेकर उत्पन्न स्थिति वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो केवल तेल आपूर्ति ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता भी दांव पर लग सकती है। ऐसे में पूरी दुनिया की निगाहें अब पश्चिम एशिया की ओर टिकी हैं।
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