@शब्द दूत ब्यूरो (17 जून 2025)
देहरादून, जून 2025: उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) 2016 के अनुरूप भवनों की अग्निशमन सुरक्षा से संबंधित मानकों में व्यापक संशोधन करते हुए अग्निशमन सुरक्षा नियमावली 2025 बनाई। यह नियमावली विभिन्न भवन श्रेणियों जैसे अस्पताल, होटल, औद्योगिक, शैक्षिक, व्यापारिक एवं भंडारण भवनों के लिए लागू होगी, जिनकी ऊँचाई 12 मीटर से कम है।
प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:
- अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अब दो से अधिक मंजिलों वाले भवनों के लिए ऑटोमैटिक डिटेक्शन सिस्टम, स्प्रिंकलर, डाउन-कमर और टेरेस टैंक की क्षमता 20000 लीटर तक बढ़ाई गई है।
- औद्योगिक भवनों के लिए अग्निशमन पंप की क्षमता 900 LPM तक बढ़ाई गई है और बेसमेंट 200 वर्गमीटर से अधिक होने पर विशेष प्रावधान अनिवार्य किए गए हैं।
- शैक्षिक संस्थानों में 500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों के लिए डाउन-कमर और मैन्युअल कॉल प्वाइंट जैसे उपकरण अनिवार्य किए गए हैं।
- होटल भवनों में अब 1000 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र वाले ढाँचों हेतु यार्ड हाइड्रेंट, स्प्रिंकलर सिस्टम, 100000 लीटर अंडरग्राउंड टैंक एवं हाई-कैपेसिटी पंप्स अनिवार्य हैं।
- भंडारण (Storage) भवनों में आग बुझाने के लिए 100000 लीटर भूमिगत जलाशय, ऑटोमैटिक अलार्म सिस्टम एवं उच्च दबाव पंप की व्यवस्था अनिवार्य की गई है।
- विशेष भवन जैसे रेस्तरां, कोचिंग सेंटर, डॉक्टर क्लिनिक आदि के लिए भी आग बुझाने वाले यंत्र, डिटेक्शन सिस्टम एवं इलेक्ट्रिक पैनल के लिए ऑटोमैटिक उपकरण आवश्यक होंगे।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत अनिवार्य
सभी भवनों में अग्निशमन उपकरणों के संचालन हेतु बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत (जैसे जनरेटर) रखना अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह बदलाव विशेष रूप से उन भवनों के लिए लागू होंगे जहाँ पंप और अलार्म सिस्टम की जरूरत अधिक है।
कार्यान्वयन और निगरानी
गृह विभाग द्वारा अधिसूचना HS3-MISC/MISC/45/2024-XX-3-Home Department I/304640/2025 के माध्यम से यह नियम प्रभावी किए गए हैं। स्थानीय फायर विभाग इन मानकों की निगरानी करेगा और भवन निर्माण की अनुमति केवल इन्हीं के अनुपालन पर दी जाएगी।
यह कदम उत्तराखंड सरकार द्वारा नागरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे राज्य में अग्निकांड की घटनाओं पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी।
राज्य सरकार की इस नियमावली का कितना पालन किया जा रहा है यह जांच का विषय है।
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