@शब्द दूत ब्यूरो (17 जून 2025)
नई दिल्ली/लंदन। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी ने लंदन की एक अदालत में भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चोकसी ने दावा किया है कि भारत ने उसे डोमिनिका से जबरन अपहरण कर भारत लाने की साजिश रची थी। यह मामला भारत सरकार द्वारा किए गए प्रत्यर्पण प्रयासों से जुड़ा है, जिसे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई जटिलता मिल गई है।
मेहुल चोकसी ने ब्रिटेन की अदालत में कहा कि मई 2021 में जब वह एंटीगुआ से लापता हुआ और बाद में डोमिनिका में पाया गया, वह कोई सामान्य गिरफ्तारी नहीं थी, बल्कि यह एक “सुनियोजित अपहरण” था जिसमें भारत के एजेंटों की भूमिका थी। उसने दावा किया कि उसे मारपीट कर जबरन बोट से डोमिनिका ले जाया गया और भारत लाने की कोशिश की गई।
चोकसी के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि भारत की खुफिया एजेंसियां उसे कानूनी रास्ते से प्रत्यर्पित नहीं करवा पाने पर “गैरकानूनी तरीके” अपनाने की कोशिश कर रही थीं।
भारत सरकार की ओर से इस मामले पर अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पहले भारत सरकार यह कह चुकी है कि चोकसी एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी है और वह न्याय से बचने के लिए बहाने बना रहा है।
भारतीय एजेंसियों का कहना है कि चोकसी पर 13,500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है और वह न्याय से बचने के लिए नागरिकता बदलकर एंटीगुआ भाग गया था।
कई कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि यह चोकसी की एक रणनीति हो सकती है जिससे वह प्रत्यर्पण प्रक्रिया को और लंबा खींच सके। वहीं, मानवाधिकार संगठनों द्वारा इस दावे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जांच की मांग की जा रही है।
लंदन कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई 2025 में करेगी, जहां यह तय हो सकता है कि चोकसी के आरोपों पर विस्तृत सुनवाई होगी या इसे खारिज कर दिया जाएगा।
यह मामला अब सिर्फ भारत और चोकसी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार और कूटनीति से भी जुड़ गया है। यदि चोकसी के आरोप साबित होते हैं, तो भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को झटका लग सकता है। हालांकि फिलहाल भारत को न्याय दिलाने की उसकी कोशिशों में यह एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है।
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