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महाराष्ट्र: उद्धव होंगे सीएम तो कांग्रेस-एनसीपी का एक-एक उपमुख्यमंत्री

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी अनिश्चितताओं के बीच सभी को उम्मीद थी कि एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच मुलाकात में रास्ता निकलेगा। पवार ने कहा कि दोनों के बीच सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई। हालांकि, सूत्रों की मानें तो तीन दलीय गठबंधन को लेकर एक मोटा मोटी सहमति बन चुकी है। इसके तहत, अगले महीने राज्य की सत्ता पर यह गठबंधन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अगुआई में काबिज हो सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो गठबंधन सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे। इनमें से एक एनसीपी से तो दूसरा कांग्रेस से होगा। यह बात भी साफ हो चुकी है कि पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए उद्धव ठाकरे ही सीएम होंगे और मुख्यमंत्री पद के लिए कोई रोटेशन पॉलिसी नहीं होगी।

सूत्र बताते हैं कि तय हुई व्यवस्था के तहत तीनों पार्टियों के संख्याबल के आधार पर उनमें 42 विभागों का बंटवारा किया जाएगा। बता दें कि 288 विधानसभा सीटों में शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 जबकि कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली है। ऐसे में विभागों का बंटवारा 15, 14 और 13 के अनुपात में हो सकता है।

सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी पर यह फैसला लेने की जिम्मेदारी छोड़ी है कि स्पीकर कौन होगा। दरअसल, इस पद के लिए कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के नाम पर अटकलबाजी जारी है। सूत्रों ने बताया कि पवार ने ही इस मामले पर एकराय कायम की है। हालांकि, एनसीपी सुप्रीमो ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए अपने पत्ते नहीं खोले।

माना जा रहा है कि उद्धव अब जल्द ही दिल्ली का दौरा कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने 24 नवंबर को अयोध्या का दौरा इसलिए टाल दिया क्योंकि उनका यह कदम नए गठबंधन सहयोगियों की राजनीति के मुनासिब नहीं होता। वहीं, कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी जल्दबाजी में नहीं है और आखिरी समझौते से पहले कुछ मुद्दों पर शिवसेना का स्पष्ट रुख जानना चाहती है। दरअसल, विपरीत विचारधारा वाली शिवसेना के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए आसान नहीं है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस और एनसीपी अब दोनों ही पार्टियां शिवसेना से जमकर मोलभाव करेंगी क्योंकि एनडीए और बीजेपी से दामन छुड़ाने के बाद उद्धव ठाकरे की पार्टी अपने शर्तें थोपने की स्थिति में नहीं होगी। दोनों ही पार्टियां शिवसेना के साथ गठबंधन की वजह से विचारधारा के मोर्चे पर हुए नुकसान की भरपाई राजनीतिक फायदे के तौर पर करना चाहेंगी। सूत्रों ने यह भी कहा कि एनसीपी में कुछ नेता अभी भी शिवसेना को सीएम पद पांच साल के लिए देने पर सहमत नहीं हैं।

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