सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन में भारतीय सेना के जवान समेत कुछ लोग फंस गए। आनन-फानन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया, पर बर्फ में फंसे इन लोगों में चार जवानों समेत छह की जान चली गई। यह पुष्टि सेना की ओर से की गई, जबकि बाकी लोगों के बारे में फिलहाल स्पष्ट जानकारी नहीं है।
बताया गया कि सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र के उत्तरी सेक्टर में तैनात आठ सैन्यकर्मी इस हिमस्खलन की चपेट में आए थे। मामले की जानकारी के बाद फौरन आसपास की चौकियों से जवान उन्हें बचाने पहुंचे, जिसके बाद उन सभी को बर्फ के ढेर के नीचे से निकाला गया।
दरअसल, इनमें से सात बुरी तरह जख्मी हुए थे, जिन्हें मेडिकल टीम की मौजूदगी में हेलीकॉप्टर्स के जरिए नजदीकी मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया। वहां उन्हें इलाज मुहैया कराया गया, पर इनमें छह की मौत हो गई। जिनकी जान गई, उनमें चार जवान और दो पोर्टर शामिल थे। इन छह की जान भीषण हायपोथर्मिया की वजह से गई।
इससे पहले, 2016 में भी सियाचिन में 10 जवान हिमस्खलन के दौरान बर्फनुमा मलबे के नीचे दब गए थे। लांस नायक हनुमनथप्पा को तब उसी मलबे से छह दिन फंसे रहने के बाद जीवित निकाला गया था। हालांकि, बाद में दिल्ली स्थित अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था।
बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर काराकोरम रेंज में पड़ता है और यह समुद्र तल से 18 से 19 हजार फुट की ऊंचाई पर है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित युद्ध क्षेत्र भी माना जाता है। वहां तैनात जवानों को न सिर्फ देश की रक्षा के लिए आतंकियों के दांत खट्टे करने होते हैं, बल्कि उन्हें कंपा देने वाली ठंड और बर्फीली हवाओं के रूप में प्रकृति व मौसम की मार का भी सामना करना पड़ता है। सर्दियों में इस क्षेत्र में हिमस्खलन और भूस्खलन जैसी घटनाएं आम मानी जाती हैं, जबकि तापमान वहां पर -60 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।