काशीपुर । भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा आज एक अलग ही अंदाज में नजर आये। अपने कार्यालय में पत्रकारों को वार्ता के लिए बुलाया।
वार्ता की शुरुआत उन्होंने सिक्ख धर्म के गुरूओं के गौरवशाली इतिहास बताते हुये की। ऐसा लग रहा था कि आज वह सिक्ख धर्म के इतिहास पर पत्रकारों को कोई पाठ पढ़ा रहे हैं। बाद में विधायक चीमा ने प्रेस वार्ता का रुख मोड़ दिया और सिखों की उपेक्षा के चलते देश से सिक्खों के पलायन पर चिंता व्यक्त की। विधायक चीमा ने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन में योगदान देने वालों में सबसे ज्यादा प्रतिशत सिक्खों का रहा है। इसके बावजूद आज तक जितनी भी सरकारें रहीं उन्होंने सिक्खों की उपेक्षा ही की। पत्रकारों के यह पूछे जाने पर कि वर्तमान सरकार पर भी आप यह आरोप लगा रहे हैं तो विधायक चीमा ने इस सवाल को टाालते हुए कहा कि मैं सिक्खों की उपेक्षा की बात कर रहा हूं।
इसके बाद विधायक चीमा ने दूसरा हमला उत्तराखंड में आयुष्मान योजना पर बोला। विधायक ने साफ तौर पर कधाहा कि उत्तराखंड में आयुष्मान योजना बुरी तरह फेल रही है। यही नहीं उन्होंने एक समाचार पत्र में छपे आंकड़ों को उद्धृत करते हुए कहा कि इस योजना में तमिलनाडु ने 1400 करोड़ रुपये गुजरात ने 1372 करोड़ रुपये तथा मध्य प्रदेश ने 865 करोड़ रुपये का चिकित्सा लाभ प्राप्त किया जबकि इसके विपरीत उत्तराखंड सरकार ने मात्र 77 करोड़ रुपये का चिकित्सा लाभ प्राप्त किया है। इस मामले में जब विधायक से पूछा गया कि इसके लिए आप उत्तराखंड सरकार की कमी मानते हैं तो एक बार फिर विधायक ने राज्य सरकार पर सीधा हमला करने के बजाय इसे नियमों में कमी की संभावना बताया। कुल मिलाकर विधायक चीमा आज सरकार पर हमला करने के मूड में थे लेकिन पार्टी लाइन का ध्यान रखते हुए अपनी पीड़ा संयत ढंग से रखने में कामयाब रहे। हालांकि विधायक ने जो सवाल उठाये उससे केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों पर सत्ताधारी दल के विधायक का हमला कहा जा सकता है। 


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