नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली सरकार की राय बिल्कुल एक दूसरे से अलग है। दिल्ली सरकार की जहां ऑड इवन स्कीम को प्रदूषण कम करने में कारगर बता रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गंभीर प्रदूषण स्तर का ‘‘आधा अधूरा हल’’ है क्योंकि यह प्रदूषण कम करने में प्रभावी नहीं है।
इस बीच दिल्ली सरकार ने ऑड ईवन स्कीम के कारगर होने का दावा करते हुए अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित करवाये। दिल्ली सरकार की तरफ से प्रकाशित इन विज्ञापनों में ऑड ईवन स्कीम लागू करने की वजह से दिल्ली में 25 फीसदी प्रदूषण कम होने की बात कही गई।
विज्ञापन के अनुसार ऑड इवन स्कीम लागू करने के पीछे दिल्ली सरकार ने फसल जलने के धुएं को दिल्ली में प्रदूषण की वजह बताया है। विज्ञापन में दिल्ली में प्रदूषण 25 फीसदी कम होने का दावा किया गया है। मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए एक बार फिर 4 नवंबर से 15 नवंबर तक ऑड इवन स्कीम लागू की थी। इस स्कीम के अंतर्गत दोपहिए वाहनों को छूट दी गई थी।
इसके साथ ही इनमें उन गाड़ियों को छूट दी गई थी जिनमें सिर्फ महिलाएं या स्कूल यूनिफॉर्म में कोई बच्चा बैठा हो। नियम का उल्लंघन करने वालों पर 4 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाने की बात थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने योजना के दौरान दी गई छूट पर सवाल उठाया जिसमें दोपहिया और तिपहिया वाहनों की दी गई छूट शामिल हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि क्या इससे प्रदूषण कम करने में मदद मिली।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार प्रदूषण में कारों की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत है और सम-विषम योजना समस्या का कोई स्थायी हल नहीं है।


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