@शब्द दूत ब्यूरो (22 जनवरी 2025)
काशीपुर । चुनाव प्रचार बीती शाम समाप्त होने के बाद अब मतदाताओं की बारी है। एक माह के चुनावी प्रचार के शोर के बीच मतदाताओं को वादों और दावों से लुभाने के लिए लिये प्रत्याशियों ने खूब जोर लगाया।
मेयर प्रत्याशियों ने जहां अपनी-अपनी पार्टी की नीतियों और अब तक किये कामों के आधार पर वोट की अपील की वहीं इस बीच मेयर प्रत्याशियों के वादों और दावों को लेकर मतदाता लगभग भ्रम की स्थिति में रहा। मतदाता जब तक एक प्रत्याशी के दावे और वादे को सुनता कि तभी दूसरे प्रत्याशी की ओर से उससे भी बड़े दावे और विकास की तस्वीर सामने रख दी जाती। इस बीच प्रत्याशियों की ओर से ऐसे भी दावे कर दिये गए जो कि एक विधायक या सरकार की ओर से ही किये जाते हैं। इस बार शहर में चल रहे चुनावी प्रचार में एक खास बात देखने को मिली। चुनाव इस तरह लड़ा गया जैसे इस चुनाव के परिणाम का असर केंद्र या राज्य सरकार पर पड़ने जा रहा है। जबकि नगर निगम एक स्वायत्तशासी संस्था होती है जिसका कि प्रदेश सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
कमोबेश सभी प्रत्याशियों की ये कोशिश रही कि अगर वह जीते तो वह उन कामों को भी करा देंगे जो कि केंद्र या राज्य सरकार के हाथ में होते हैं। शहर के स्थानीय विधायक की मानो शहर के लिये कोई उपयोगिता नहीं है। हर प्रत्याशी का यह दांव कितना कारगर सिद्ध होगा यह तो चार दिन बाद ही पता चल पायेगा। पर चुनाव प्रचार की समाप्ति के बाद अब शांति के साथ मतदाता को मंथन करने का समय मिला है। और मंथन का परिणाम ही सकारात्मक होगा शहर के लिये।