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अयोध्या फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगा मुस्लिम पक्षकार

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को राम मंदिर के लिए दे दिया है। जबकि, मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने की बात कही गई। हालांकि, इस फैसले से मुस्लिम पक्षकार खुश नहीं है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है। मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय के फैसले से खुश नहीं है और इसके खिलाफ वह अपील करेगा।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला वैसे तो सर्वोपरि है, लेकिन कानूनी रूप से इसे चुनौती देने का प्रावधान अभी बचा हुआ है। मुस्लिम पक्षकार के पास फैसले के संदर्भ में रिव्यू पेटिशन दाखिल करने का मौका है। कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड रिव्यू पेटिशन दाखिल कर सकता है। हालांकि, यह कोर्ट के संज्ञान पर निर्भर करेगा कि वह रिव्यू पेटिशन की सुनवाई कोर्ट में करेगा या फिर चैंबर में। बेंच के पास यह अधिकार होगा कि वह चाहे तो याचिका खारिज भी कर सकता है और इसे ऊपर की बेंच को ट्रांसफर भी कर सकता है। वैसे अभी तक के मामलों में बेंच अपने स्तर पर भी याचिकाओं पर फैसले लेता रहा है।

अगर रिव्यू पेटिशन पर फैसला सुनाया भी जाता है, तो उसके बाद भी पक्षकारों के पास दूसरा विकल्प मौजूद होगा। कोर्ट के फैसले के खिलाफ इसे अंतिम विकल्प माना जाता है। इस विकल्प को क्यूरेटिव पेटिशन या उपचार याचिका कहा जाता है। वैसे क्यूरेटिव पेटिशन रिव्यू पेटिशन से अलग है। इसमें फैसले की जगह मामले में उन विषयो को चिन्हित करना होता है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत महसूस होती है। गौरतलब है कि क्यूरेटिव पेटिशन पर भी बेंच सुनवाई जारी भी रख सकता है और इसे खारिज भी कर सकता है। इस पर फैसला होने के बाद मुकदमा पूरी तरह खत्म हो जाता है।

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