नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन रामलला की है । सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दे। और केन्द्र सरकार ट्रस्ट बनाकर तीन महीने में मंदिर निर्माण की स्कीम बनाये। सुप्रीम कोर्ट-शिया सुन्नी मामले में शिया बोर्ड की याचिका खारिज,शिया मामले में सर्वसम्मति से । पुरातत्व सूबूत और प्राचीन यात्रियों के वृतांत हिंदुओं के पक्ष में हैं। हाईकोर्ट के जमीन को 3 हिस्सों में बांटना गलत है।
मस्जिद कब बनी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मस्जिद 1528 में बनी। 22 – 23 दिसंबर को मूर्ति रखी है। नमाज पढ़ने की जगह को मस्जिद मानने से मना नहीं करते हैं। फैसला पढ़ा जा रहा है। जगह सरकारी है। निर्मोही अखाड़े के सेवा करने के दावे को खारिज किया। खारिज करने का कारण छह साल बाद दावा करना है। रामलला को मुख्य पक्षकार माना गया है। ए एस आई के उत्खनन से जो सबूत मिले हैं उसकी अनदेखी नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी है। उसके नीचे विशाल रचना थी लेकिन जो चीजें मिली वह इस्लामिक नहीं थी। ए एस आई ने 12 वीं सदी का मंदिर बताया था। ए एस आई यह साबित नहीं कर पाया कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनी थी।
फैसले में कहा गया है कि हिन्दू वहां राम का जन्म स्थान मानते हैं। और इसे हर पक्ष ने स्वीकार किया है। विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते हैं। हिन्दू दावे की पुष्टि होती है। चबूतरा भंडार गृह सीता रसोई आदि से भी हिन्दू दावे की पुष्टि होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही कि वहाँ पुरानी रचना से हिन्दू दावे को नहीं माना जा सकता। उधर 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सूबूत से भी इंकार किया। 1856 से पहले हिंदू भीतरी हिस्से में पूजा करते थे। जब उन्हें रोका गया तो बाहर चबूतरे पर पूजा करने लगे।