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काशीपुर :देवभूमि पर्वतीय महासभा कैसे होगी चुनाव प्रक्रिया? ढूंढने से भी नहीं मिल रहे सूची में शामिल अनेक मतदाता सदस्य

@शब्द दूत ब्यूरो(17 अक्टूबर 2024)

काशीपुर । प्रशासन द्वारा देवभूमि पर्वतीय महासभा के चुनावों के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त किए हुये तीन महीने का समय बीत चुका है लेकिन अब तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई है। हालांकि प्रशासन पूरी तरह से चुनाव संपन्न कराने की तैयारी कर चुका है। आखिर क्यों नहीं हो पा रही है देवभूमि पर्वतीय महासभा की चुनाव प्रक्रिया? ये एक बड़ा सवाल है।

आपको बता दें कि देवभूमि पर्वतीय महासभा में दो पक्षों के बीच विवाद के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई थी। एक पक्ष की ओर से पूर्व कार्यकारिणी को अवैध बताते हुए प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। जिस पर निबंधक की ओर से यह व्यवस्था दी गई कि पूर्व कार्यकारिणी को उपजिलाधिकारी काशीपुर द्वारा अपास्त घोषित कर दिया गया। नायब तहसीलदार भीम सिंह कुटियाल को अगस्त माह में चुनाव अधिकारी मनोनीत कर दिया गया था।

चुनाव अधिकारी मनोनीत होने के बाद नायब तहसीलदार कुटियाल ने महासभा के सदस्यों की एक बैठक बुला कर सदस्य वैध वोटरों की सूची मांगी थी ताकि नियमानुसार महासभा के चुनाव करवाये जा सकें। लेकिन तीन माह बीत गये अभी तक कुल दर्शाये गये 766 मतदाताओं की सूची उपलब्ध नहीं हो पाई है।

चुनाव अधिकारी व नायब तहसीलदार भीम सिंह कुटियाल ने बताया कि वह इस संबंध में निवर्तमान अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जीना को दो रिमाइंडर भेजकर सदस्यों की सूची उपलब्ध कराने के लिए पत्र जारी कर चुके हैं। उन्हें अब तक मतदाताओं की सूची उपलब्ध नहीं हो पाई जिसके चलते चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वैध सदस्य मतदाताओं की सूची प्राप्त होने की स्थिति में ही नियमानुसार महासभा की चुनाव प्रक्रिया कराई जायेगी।

उधर निवर्तमान अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जीना ने बताया कि उनके पास उपलब्ध 766 सदस्यों की सूची में जो नाम है उनकी पुष्टि नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि सूची तो है पर जिनके नाम सूची में शामिल हैं उनसे संपर्क करना संभव नहीं हो पा रहा है। सूची में सदस्यों के नाम पते आधे अधूरे होने की वजह से मतदाता की जानकारी कर पाना नामुमकिन है। उन्होंने बताया कि एक सदस्य का नाम है और पते की जगह कुंडेश्वरी लिखा है ऐसे में कुंडेश्वरी में उस नाम के सदस्य को ढूंढ पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है हालांकि वह अपनी ओर से भरसक कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन में वह दस से बारह लोगों के वहां जाकर सदस्य मतदाताओं से मिलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। वहीं सुरेंद्र सिंह जीना ने कहा कि महासभा के जिन सदस्यों का नाम मतदाता सूची में शामिल है वह अनेक बार सोशल मीडिया व समाचार पत्रों के माध्यम से यह अपील कर चुके हैं कि सत्यापन के लिए वह स्वयं संपर्क कर सकते हैं। ताकि सदस्यों के सत्यापन के बाद विधिवत प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देशन में महासभा के चुनावों की प्रक्रिया संपन्न कराई जा सके।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब संस्था के सदस्य ढूंढने से भी नहीं मिल पा रहे हैं तो चुनाव प्रक्रिया कैसे संपन्न हो पायेगी? यहाँ ये बात भी आश्चर्यजनक है कि देवभूमि पर्वतीय महासभा के चुनावों को संपन्न कराने के लिए महासभा के सदस्य ही रुचि नहीं ले रहे तो इस संस्था का भविष्य क्या होगा?

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