@इंद्रेश मैखुरी
एक महिला के यौन शोषण के आरोपों के बाद हटाए गए नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष रहे मुकेश बोरा सत्ताधारी भाजपा के प्रभावशाली नेता हैं. इसीलिए जब दुग्ध संघ में काम करने वाली आउटसोर्सिंग के तहत नियुक्त दैनिक वेतन भोगी महिला कर्मचारी ने बोरा पर बलात्कार, जान से मारने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगाए तो उस महिला की रिपोर्ट लिखने में पुलिस के हाथ कांपने लगे. पीड़ित महिला नैनीताल के एसएसपी के पास गयी. एसएसपी ने उसे कोतवाली जाने को कहा. दो कोतवालियों की पुलिस महिला को इधर से उधर दौड़ाती रही. बड़ी मुश्किल से 31 अगस्त की रात में तहरीर की रिसीविंग दी गयी. 01 सितंबर को आधे दिन के बाद जब लगातार दबाव बना रहा, तब जा कर एफआईआर लिखी गयी.
एफआईआर दर्ज होने के दूसरे दिन ही यानि कल 02 सितंबर को बोरा के समर्थक, कुछ महिलाओं को लेकर कोतवाली पहुंच गए. महिलाओं को बकायदा जुलूस की शक्ल में लाइन लगा कर कोतवाली में प्रवेश करवाया गया. जुलूस का नेतृत्व करने वालों का कहना था कि मुकेश बोरा निर्दोष हैं,उनके विरुद्ध राजनीतिक षड्यंत्र हुआ है. हालांकि जुलूस में महिलाओं की ठीकठाक संख्या के बावजूद वे जिस तरह कोतवाली के अंदर खामोश थी, उससे भी बहुत कुछ समझ में आता है कि उन्हें कैसे लाया गया होगा ! कुछ तो मुंह भी ढके हुए थीं.
ऐसा लगा कि महिलाओं के इस जुलूस को देख कर कोतवाल और अन्य पुलिस कर्मी भी हैरत में थे. वे जुलूस की अगुवाई करने वालों से यही कह रहे थे कि यहां क्यों आ गए, ज्ञापन देना है तो एसडीएम साहब के पास तहसील जाओ !
बलात्कार के आरोपियों के पक्ष में जुलूस निकालने की यह परम्परा भाजपा ने ही शुरू की, जब कठुआ में एक छोटी बच्ची से गेंगरेप के आरोपियों के पक्ष में तिरंगा लेकर जुलूस निकाला गया. बलात्कार और हत्या के लिए दोषी करार दिये जा चुके आसाराम और राम रहीम के समर्थक भी उनको पक्ष में जुलूस निकालते रहे हैं. बिल्किस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बता कर छोड़ा गया और फिर उनका फूल मालाओं से स्वागत किया गया. सबसे हालिया मामला आईआईटी बीएचयू के गैंग रेप के दो आरोपियों को जमानत मिलने के बाद जश्न मनाए जाने का है.इस कड़ी में मुकेश बोरा के पक्ष में निकाले गए जुलूस को भी जोड़ लीजिये. किसी बलात्कार के आरोपी के पक्ष में जुलूस निकालने का उत्तराखंड में संभवतः यह पहला ही मामला होगा. क्या यह महज संयोग है कि यहां भी बलात्कार के जिस आरोपी के समर्थन में यह जुलूस निकाला गया, वो सत्ताधारी भाजपा के प्रभावशाली नेता हैं ? बोरा के पक्ष में कोतवाली में पहुंची महिलाएं हाथ में पुतला नुमा चीज भी लिए हुए थी !प्रदेश में सरकार तो उसी भाजपा की है, जिसके नेता मुकेश बोरा हैं तो फिर पुतला किसका जलाना चाहते थे, बलात्कार के आरोपी के पक्ष में जुलूस निकालने वाले ?
जुलूस- प्रदर्शन अन्याय के खिलाफ प्रतिवाद के औजार हैं, कठुआ से लेकर उत्तराखंड तक उसे सत्ता संरक्षण वाले आरोपियों के बचाव के औजार में बदलने की कोशिश है ! यह कतई स्वीकार्य नहीं हो सकता.