महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में झटका लगने के बाद भाजपा अब झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। ऐसे में पार्टी राज्य में चुनाव तैयारियों को लेकर अतिरिक्त रूप से सजग हो गई है। चुनाव आयोग ने राज्य में 5 चरण में चुनाव कराए जाने की घोषणा कर दी है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे से लेकर प्रचार अभियान की रणनीति में सावधानी बरत रही है। इससे पहले विपक्षी दलों के नेताओं के भाजपा में शामिल होने से भी पार्टी का मनोबल भी पहले से बढ़ा हुआ।
हरियाणा और महाराष्ट्र की तरफ से पार्टी ने अनुमान लगाया था कि राज्य में विपक्ष पूरी तरह से असफल है। पार्टी को उम्मीद थी कि रघुबर दास सरकार की लोकलुभावन नीतियों और लोकसभा चुनाव में मिली सफलता से पार्टी को विधानसभा चुनावों में फायदा मिलेगा।
हालांकि 21 अक्टूबर को दो राज्यों में आए चुनाव नतीजों ने पार्टी को अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटों के लिए इस महीने के अंत से पांच चरणों में चुनाव होना है। सूत्रों ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया की साल 2000 में राज्य का गठन होने के बाद से भाजपा कभी भी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई है।
ऐसे में भाजपा को यदि दूसरी बार सत्ता में वापसी करनी है तो उसे एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। झारखंड भाजपा के एक नेता ने कहा कि यदि हम अपने दम पर बहुमत प्राप्त करने में सफल हो गए तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। सूत्रों के अनुसार राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा के लिए चुनौती साबित हो सकता है। इससे पहले लोकसभा चुनाव में अंतिम समय तक भ्रम की स्थिति बने रहने के कारण एक मजबूत विपक्षी गठबंधन आकार नहीं ले पाया था।
साल 2014 में भाजपा ने राज्य में 37 सीटें जीती थीं। इसके बाद पार्टी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। आजसू को 5 सीटों पर जीत मिली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने राज्य की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओपी माथुर को झारखंड का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया था।