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पंडित जी को पछियाते मोदी जी@देश के पहले प्रधानमंत्री वर्तमान में सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी, वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की बेबाक कलम से

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पदचिन्हों पर न चलते हुए भी नरेंद्र दामोदर दास मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन गए हैं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मै माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी का स्वागत करता हूँ,वंदन ,अभिनदं करता हूँ। वे उन सबके भी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने उन्हें अपने मताधिकार के जरिये ख़ारिज किया। कुल मिलाकर वे भारत के प्रधानमंत्री हैं ,लेकिन उनके समर्थक ,अंधभक्त मोदी जी की तुलना जब पंडित जवाहर लाल नेहरू से करते हैं तो हंसी भी आती है और दया भी। क्योंकि दोनों के चाल ,चरित्र और चेहरे में कोई मेल है ही नहीं।

दरअसल नरेंद्र मोदी जी और उनका परिवार पंडित जवाहर लाल नेहरू से जबरदस्त घृणा करता है ,बावजूद वो मोदी जी को उनके बराबर खड़ा भी करना चाहता है। काल्पनिक आंकड़ों के जरिये,किस्सों-कहानीयों के जरिये। नेहरू जी कश्मीरी पंडित थे और मोदी जी गुजराती पिछड़े वर्ग से आते हैं। नेहरू जी ,मोदी जी से 61 साल पहले जन्मे थे । उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू धनी बैरिस्टर थे,मोदी जी के पिता गरीब चाय वाले।[] चायवाला होना कोई बुरी बात नहीं है।] बात तो ये है कि मै नेहरू और मोदी की तुलना करना ही नहीं चाहता ,क्योंकि दोनों में कोई बराबरी ,साम्य है ही नहीं ,लेकिन अंधभक्तों को हकीकत से रुबरू करने के लिए मुझे ये कृत्य करना पड रहा है । ये कुकृत्य है या सुकृत्य ये पाठक खुद तय करेंगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया। जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की।

अब मोदी जी के बारे में जान लीजिये। बकौल गूगल जी माननीय मोदी जी आठ वर्ष की आयु में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लम्बे समय तक सम्बन्धित रहे। स्नातक होने के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया।उन्होंने स्नातक कहाँ से किया ये केवल सुप्रीम कोर्ट जानता है देश नहीं। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और अनेकों धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे उसके बाद अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए।मोदी जी लिखते-पढ़ते नहीं है। वे जब-जब फुरसत में होते हैं योग-ध्यान करते है।

आइये फिर नेहरू के बारे में जान लेते हैं।1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई।और वे ताउम्र उनकी जीवन संगिनी बनी रहीं 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग‎ में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए।नेहरू ने महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया। वे अब एक खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे। जवाहर लाल नेहरू ने १९२०-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

नेहरू के मुकाबले खड़े किये जा रहे मोदी जी कभी जेल नहीं गए। 1975 में देश भर में आपातकाल की स्थिति के समय उन्हें कुछ समय के लिए अज्ञातवास जरूर करना पड़ा। 1985 में वे भाजपा से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे भाजपा में सचिव के पद पर पहुँचे गए।जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की। 1926में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का हवाला देकर त्यागपत्र दे दिया।1926 से 1928 तक, जवाहर लाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में सेवा की। 1928 -1929 में, कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया। नेहरू को कभी ऊपर से प्रक्षेपित नहीं किया गया । वे लड़ते-जूझते आगे बढे । कुल 13 साल जेलों में रहे,एक दर्जन किताबें उन्होंने लिखीं ।

लेकिन माननीय मोदी जी और नेहरू में एक भिन्नता ये है की मोदी जी की शादी हुई लेकिन वे उसका निर्वाह नहीं कर पाए । उनकी पत्नी आज भी गुजरात में अकेले गुजर-बसर कर रहीं हैं। दुसरे मोदी जी को हमेशा पैराशूट से राजनीति में उतारा गया।पहली बार उनका पैराशूट गुजरात में ही उतरा । गुजरात भूकम्प के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और खराब सार्वजनिक छवि के कारण श्री नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री पद पर नियुक्त किया गया। वे 12 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी भी उन्हें राजधर्म नहीं सिखा पाए । उनके कार्यकाल में गुजरात में भीषण दंगे भी हुए। वे दूसरी बार वे 2014 में पैराशूट से देश के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में अपने तमाम रिश्तों को धकियाते हुए उतारे गए।

बीच का तमाम मुकाबला छोड़ते हुए अब मै सीधे नेहरू और मोदी के तीसरे चुनाव पर आता हू। नेहरू ने तीसरा चुनाव 1962 में लड़ा। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 361 सीटें जीतीं जो 1957 के चुनाव में जीती गयीं सीटों के मुकाबले 10 कम थीं । नेहरू जी की कांग्रेस को मिले मतों का प्रतिशत 44 से अधिक था यानि उनके मतों में कुल जमा 3 फीसदीक़ी गिरावट आयी थी। अब मोदी जी का तीसरा चुनाव देख लीजिये । मोदी जी ने अपना तीसरा चुनाव 2024 में लड़ा। उनके नेतृत्व में भाजपा को सीटें मिलीं 240 जबकि 2019 में भाजपा को सीटें मिलीं थी 303 और मत प्रतिशत था 37।यानि मोदी जी ने सीटें भी खोईं और मत प्रतिशत भी गंवाया। लेकिन फिर भी वे अपनी पार्टी के सिरमौर हैं

यानि नेहरू जी को पछियाने वाले मोदी जी हर दृष्टि से नेहरू के पासंग नहीं है। फिर भी मोदी जी विश्वगुरु हैं। देश के मोदी भक्तों को जानना चाहिए की नेहरू ने अपने राजनितिक जीवनमें सरकार चलने के लिए कभी किसी बैशाखी का सहारा नहीं लिया। कभी अदावत की राजनीती नहीं की । कभी विपक्ष को शत्रु नहीं समझा। नेहरू जी की उपलब्धियां मोदी जी की तमाम उपलब्धियों का पासंग भी नहीं हैं मोदी जी महान हैं क्योंकि वे महान है। पिछले दस साल में मोदी जी ने भारत की राजनीति में जितने उपद्रव किये हैं वे किसी से छिपे नहीं हैं। लेकिन भारत की महान जनता ने उन्हें उनके किसी गुनाह के लिए चौराहे पर लाकर शर्मसार नहीं किया। नेहरू के जीवन में गांधी थे ,मोदी के जीवन में माधव सदाशिव गोलवलकर। मोदी जी ने तो गाँधी के बारे में रिचर्ड की फिल्म ‘ गांधी ‘ देखने के बाद जाना।

बहरहाल मोदी जी हमेशा मोदी जी ही रहेंगे और नेहरू जी हमेशा नेहरू जी ही रहने वाले हैं। भारत की राजनीति में नेहरू आज भी बच्चों के चाचा हैं और मोदी जी क्या हैं ये अभी तक तय नहीं हुआ । भगवान करें कि मोदी जी अपना तीसरा कार्यकाल सफलता के साथ पूरा करें। मोदी जी के तीसरे कार्यकाल में उनके पास बैशाखियाँ भी हैं और राहु-केतु भी । मोदी जी के सामने पहली बार सबल विपक्ष भी है और वो कांग्रेस भी जिसे वे नेस्तनाबूद करना चाहते हैं किन्तु कर नहीं पा रहे हैं। ईश्वर उन्हें शक्ति दे।
@ राकेश अचल
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