@शब्द दूत ब्यूरो (27 मई 2024)
मोटाहल्दू (नैनीताल)। बीमारियां बढ़ रही है लगातार। समय-समय पर नयी नयी बीमारियों के बारे में सुनने को मिलता है। इसके अनेक कारण हैं। हमारे रोजमर्रा के भोजन में हम जिन खाद्य पदार्थ का प्रयोग करते हैं वह हमारे लिए कितने सुरक्षित हैं? यह जानना काफी आवश्यक है। खेतों में उत्पादित सब्जियों में रासायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग एक तरह से बिमारियों को आमंत्रण देना है। लेकिन अब कुछ प्रगतिशील किसान परंपरागत कृषि की ओर लौट रहे हैं।
नैनीताल जिले के मोटाहल्दू में किसान परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती कर सब्जी उत्पादन कर रहे है। बाजार में जैविक सब्जियों की बड़ी मांग है। इस कारण जिले के कई किसानों ने जैविक सब्जी उत्पादन को दोबारा से अपना लिया है। क्षेत्र के किसान अनिल पांडे ने कहा कि उन्होंने परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती अपनाई है। जैविक उत्पादों की बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है। इसके चलते यहां के अन्य किसान भी जैविक खेती को अपना रहे हैं। वहीं यह खेती जीरो बजट में हो रही है, यहां केमिकल के बजाय जीवामृत, बर्मी कम्पोस्ट खाद का प्रयोग किया जा रहा है। एक खरीददार मोहन चन्द्र आर्य ने बताया कि जैविक खेती से उत्पन्न सब्जी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है और इसका स्वाद भी अलग है। गवर्मेन्ट आयुर्वेद हॉस्पिटल फुटकुंआ के चिकित्सक डा. डी.सी. पंत ने कहा कि आज के युग में बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थ हैं। इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में जैविक उत्पादों से बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
(प्रसार भारती शब्द)