विनोद भगत
हरियाणा में विधानसभा चुनावों के बाद विभिन्न एजेंसियों द्वारा दिखाये गये एक्जिट पोल के आंकड़े धराशायी हो गये। हालांकि आज तक ने जो आंकड़े एक्जिट पोल के दिखाये वह सटीक बैठे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से न केवल भाजपा वरन सभी राजनैतिक समीक्षकों को हैरान कर दिया है। भाजपा ने चुनाव जीतने और सत्ता में वापसी का हर दांव खेला पर कोई दांव काम नहीं आया। बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त तक को भाजपा ने उनकी खेल की लोकप्रियता को राजनैतिक तौर पर अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की लेकिन भाजपा के यह चैक मत बैंक ने बाउंस कर दिये। अब हार का ठीकरा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर यह कहकर फोड़ा जा रहा है कि टिकट वितरण में पार्टी के निष्ठावान लोगों को दरकिनार कर दिया गया जिससे सत्ता में वापसी मुश्किल हो गई है।
यहाँ याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव में यहां की सभी 10 सीटें भाजपा ने जीती थी। इंडिया टुडे-एक्सिस वन को छोड़कर सभी प्रमुख एग्जिट पोल में बीजेपी को 90 में से 70 सीटों पर जीत दिखाया गया था।
आखिर क्या कारण रहे कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सारी भविष्यवाणी गलत साबित कर दी। लोकसभा चुनाव में 58 फीसदी वोट बटोरने वाली भाजपा इन विधानसभा चुनावों में 36 फीसदी पर आ गई। वोट शेयर यहां पर सबसे बड़ा संकेतक है। क्या लोकसभा चुनावों के वोट शेयर को आधार बनाकर ही एक्जिट पोल दिखाये गये थे। मतलब एक्जिट पोल धरातल पर करने के बजाय हवा में ही कर दिये गये। ये एक बड़ा सवाल है।
याद दिला दें कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुये विधानसभा चुनावों में भी एक्जिट पोल के आंकड़ों को मात खानी पड़ी थी। देश में लहर के आधार पर एक्जिट पोल दिखाये जाने लगे हैं क्या? यदि एक्जिट पोल ऐसे ही चलते रहे तो यह देश की जनता के साथ खुला धोखा नहीं होगा।