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‘इंदिरा गांधी ने देश को दिया था अपना सोना,’ जानें, क्या है वो किस्सा जिसका प्रियंका ने किया जिक्र

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश पर कुर्बान हुआ है. दादी इंदिरा गांधी ने जंग में अपना सोना देश को दिया था और पीएम मोदी कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी आपका मंगलसूत्र और सोना छीन लेगी. देश में 55 साल तक कांग्रेस की सरकार रही है. किसी ने आपसे आपका सोना और मंगलसूत्र छीना?

दरअसल, राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस महिलाओं के गहने और मंगलसूत्र लेकर पैसे ऐसे लोगों में बांट देगी, जिनके अधिक बच्चे हैं. इसी के जवाब में कांग्रेस महासचिव ने यह बात कही है. आइए जान लेते हैं कि आखिर वह क्या मौका था, जिसके कारण इंदिरा गांधी को सोना देश के लिए देना पड़ा था.

चीन ने भारत को दिया धोखा, बोल दिया था हमला

यह साल 1962 में हुए चीन-भारत युद्ध की बात है. 20 अक्तूबर को पश्चिम में आकसाई चिन और अरुणाचल प्रदेश (तब नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी या नेफा) पर चीन ने अचानक हमला बोल दिया था. भारत की सेना इस हमले लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी, क्योंकि आशंका ही नहीं थी कि चीन ऐसा भी कर सकता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी चीन की इस मंशा का अंदाजा नहीं था. देश में इसी साल के शुरू में आम चुनाव हुए थे और पंडित नेहरू फिर से प्रधानमंत्री बने थे. चीन के हमले ने उनके सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी.

दरअसल, सीमा विवाद को लेकर पंडित नेहरू और चीन के तब के शीर्ष नेता झाऊ एन-ली में कई बार बातचीत हो चुकी थी. कई प्रस्तावों पर भी बात हुई थी. इसके बावजूद चीन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. वास्तव में वह इतिहास की परवाह किए बिना आकसाई चिन के जरिए तिब्बत तक रास्ता चाहता था. इसीलिए उसने हमला बोल दिया था.

अचानक शुरू हुई लड़ाई मुसीबत बन कर सामने आई

यह चीन का भारत को बहुत बड़ा धोखा था. पड़ोसी देश ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को धत्ता बता दिया था. इस लड़ाई ने देश में हालात काफी बदल दिए थे. इस युद्ध की पीड़ा में हर देशवासी खाना-पीना तक भूल गया था. हर कोई सेना के सपोर्ट में खड़ा हो गया था. देश को आजाद हुए साल ही कितने हुए थे. फिर बंटवारे की विभीषिका देश झेल चुका था. ऐसे में लड़ाई के लिए हमारे पास अच्छे हथियार तक नहीं थे. आधे-अधूरे हथियारों और दूसरे साज-ओ-सामान के साथ सीमा पर डटे सैनिक शहीद हो रहे थे.

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