नई दिल्ली। देश की सुस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद को एक और झटका लगा है। बैंकों द्वारा कर्ज वितरण दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। घरेलू खपत के सुस्त पड़ने से कर्ज की मांग में भारी गिरावट आई है।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार सितंबर में बैंकों के कर्ज में ग्रोथ महज 8.8 फीसदी रही, जो इस साल की शुरुआत के मुकाबले आधा है। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख हैं।
जानकारों के मुताबिक मांग और आपूर्ति में कमी की वजह से कर्ज की ग्रोथ में यह बढ़त आई है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहे मोदी सरकार के लिए यह एक और झटका है।
इसके पहले अक्टूबर 2017 में बैंको के कर्ज वितरण में ग्रोथ घटकर 7 फीसदी के आसपास रह गई थी। सितंबर 2018 में यह 12 फीसदी के आसपास और नवंबर 2018 में 15 फीसदी के आसपास पहुंच गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा कर्ज की वजह से कुछ बढ़त दिख रही है, लेकिन कंज्यूमर लोन के मामले में बैंक कुछ सतर्क रवैया अपना रहे हैं। कुछ ग्राहक ड्यू डेट तक कर्ज नहीं चुका पा रहे, इसलिए बैंक खासे सतर्क हैं। इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, हाउसिंग एवं ऑटो सहित सभी सेगमेंट में खपत में गिरावट दिख रही है, इसकी वजह से खुदरा कर्ज प्रवाह में और गिरावट देखी जा सकती है। यहां तक कि क्रेडिट कार्ड, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन जैसे अनसेक्योर्ड लोन के ग्रोथ में भी गिरावट देखी जा रही है।