नई दिल्ली (वेद भदोला) अगर आप एटीएम से 2000 रुपये का नोट नहीं आने से परेशान हैं तो यह खबर आपकी शंका का समाधान कर सकती है। दरअसल भारतीय नोट छापने वाले नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड ने इस वित्त वर्ष 2018-19 में एक भी 2000 का नोट नहीं छापा है। ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि 2000 के नोट बंद किये जा सकते हैं। हालांकि अभी न तो सरकार और न आरबीआई ने इस बारे में कोई स्पष्ट संकेत दिए हैं।
कहा जा सकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने सरकार से सूचना के अधिकार के तहत 2000 के नोट को लेकर जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में आर बी आई ने कहा कि 2016- ’17 के वित्तीय वर्ष के दौरान 2,000 रुपये के 3,542.991 मिलियन नोट छापे गए थे। यह अगले साल यह 111.507 मिलियन नोट तक कम हो गया। 2018-19 में बैंक ने 46.690 मिलियन नोट छापे।
बताते चलें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी पिछले दिनों कहा है कि उच्च गुणवत्ता वाले नकली नोटों की संख्या में वृद्धि हो रही है। एनआईए के महानिरीक्षक आलोक मित्तल ने कहा पाकिस्तान में उच्च गुणवत्ता वाले नकली नोटों की छपाई हो रही है। उधर बांग्लादेश कम गुणवत्ता वाले नकली नोटों के स्रोत के रूप में उभरा है। मार्च 2018 तक प्रचलन में 2,000 रुपये के 3,363 मिलियन नोट थे, जो कुल मुद्रा का 3.3% है. 2019 तक यह घटकर 3,291 मिलियन रह गया।
हालही में एक रिपोर्ट भी आई थी जिसके मुताबिक 2,000 रुपये के नोटों की छपाई में काफी कमी आई है और 2,000 के नोटों की छपाई को न्यूनतम तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है। यह कोई नई बात नहीं है.” विशेषज्ञों का मानना है कि कम मूल्य के 2,000 रुपये के नोटों को छापने के कदम को उच्च मूल्य वाली मुद्रा की जमाखोरी को रोकने और काले धन पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है। उच्च मूल्य के नोटों को प्रचलन से हटाने के कारण, बहुत सारे काले धन का लेन-देन करना मुश्किल हो जाता है।
अगस्त में आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि 2017-18 के वित्तीय वर्ष में बैंकिंग प्रणाली में नकली 2000 रुपये के नोटों में भारी वृद्धि पाई गई थी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि 2017-18 में 17,929 नकली 2000 रुपये के नोटों का पता लगाया, जबकि उसी मूल्यवर्ग के केवल 638 नकली नोटों का पता एक साल पहले चला था। 2,000 रुपये के नोट नवंबर 2016 में पेश किए गए थे जब नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन और नकली मुद्राओं पर अंकुश लगाने के प्रयास में 500 और 1,000 रुपये के नोटों को वापस लेने का फैसला किया था।