हमने चांद को छत से देखा
चल चांद को छत पर लाते हैं
विनोद भगत
काशीपुर। अभावों से जूझते हुए दो भाइयों ने मिलकर “उम्मीदों से लक्ष्य तक “काव्य संग्रह रच डाला। खास बात यह है कि काव्य संग्रह में देशभक्ति से ओतप्रोत रचनायें लिखकर दोनों भाइयों ने अपनी गरीबी और मुफलिसी को भुलाते हुये रचनाओं में एकता भाईचारे और अमन की अपील की है। सबसे बड़ी बिडम्बना इन नवोदित रचनाकार भाइयों के साथ यह है कि बड़े भाई को अपनी रेग्युलर पढ़ाई धनाभाव के चलते छोड़ देनी पड़ी। बलजीत सिंह और दलजीत सिंह काशीपुर के कटोराताल मोहल्ले के निवासी हैं। इनके पिता का कोई रोजगार नहीं है। परिणामस्वरूप बलजीत सिंह प्राइवेट कंपनी में थोड़े से वेतन में अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
धनाभाव के चलते दोनों
भाइयों की रचनाधर्मिता को जीवित रखकर कविताओं का सृजन करना अपने आप में अनुकरणीय है। बलजीत बताते हैं कि स्कूल में लंबे भाषण से बचने के लिए उन्होंने प्रार्थना के समय होने वाली असेंबली में एक छोटी सी कविता पढ़ी। विद्यालय के प्राचार्य ने जब कविता की सराहना की तो बलजीत का हौसला बढ़ा। तब उन दोनों भाइयों ने नियमित कवितायें लिखना शुरू कर दिया।
बलजीत बताते हैं कि काव्य संग्रह छापने के लिए आर्थिक संसाधन जुटाना जरूरी था। ऐसे में अपने पास से धन जुटाकर काव्य संग्रह प्रकाशित किया। “उम्मीद से लक्ष्य तक” नाम के इस काव्य संग्रह की कवितायें लोकप्रिय हो रही है। स्कूलों में छात्र छात्राओं द्वारा काव्य संग्रह को खरीदा जा रहा है।