@विनोद भगत
नैनीताल ऊधमसिंहनगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर प्रकाश जोशी को उतार कर कांग्रेस ने चौंकाया जरूर है लेकिन पिछले लंबे समय से प्रकाश जोशी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रहे। एकाएक लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर प्रकाश जोशी को आम मतदाताओं के बीच अपनी पहचान दिखानी पड़ेगी। एक माह से भी कम समय मतदान को रह गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मौजूदा दौर में मोदी मैजिक के चलते कांग्रेस के लिए जीत की संभावनाएं कम ही आंकी जा रही हैं। ऐसे में कांग्रेस का यह दांव कितना कारगर साबित हो पायेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है।
प्रकाश जोशी की उम्मीदवारी की घोषणा होते ही अन्य दलों के नेताओं को तो छोड़िए कांग्रेस के ही नेता भौचक्के रह गए हैं। दूसरी तरफ आम मतदाता तक पहुंचना प्रकाश जोशी के लिए काफी टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
प्रकाश जोशी की पार्टी में उपलब्धि की अगर बात की जाये तो वह राहुल गांधी के करीबी जरूर है लेकिन नैनीताल संसदीय क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के कितने करीब रहे हैं ये उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा से अंदाजा लगाया जा सकता है। दो बार विधायक का चुनाव हार चुके प्रकाश जोशी नैनीताल ऊधमसिंहनगर लोकसभा सीट से कांग्रेस के सूखे से निजात दिला पायेंगे यह अपने आप में दिलचस्प होगा।
बात करें उनके राजनीतिक सफर की तो प्रकाश जोशी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में कई पदों पर रह चुके हैं। 2019 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव पद से हटा दिया था, तब से प्रकाश जोशी कांग्रेस में किसी भी पद पर नहीं थे।
बीच में प्रकाश जोशी का कांग्रेस के ही अपने नेताओं से काफी मतभेद भी रहा है। ऐसे में यह भी एक बड़ा सवाल है कि पार्टी के नेता उनकी उम्मीदवारी को कितना पचा पायेंगे?
भाजपा के अजय भट्ट से मुकाबला फिलहाल आसान नहीं दिख रहा। प्रकाश जोशी को 19 अप्रैल तक खुद को नैनीताल ऊधमसिंहनगर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। वर्तमान में जो राजनैतिक परिदृश्य है उसके मुताबिक प्रकाश जोशी के लिए नैनीताल ऊधमसिंहनगर लोकसभा क्षेत्र से कड़े मुकाबले की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा।