Breaking News

हाइकोर्ट ने कहा हाथियों को भगाने के लिये इतनी क्रूरता क्यों

शब्ददूत ब्यूरो

नैनीताल। रामनगर में हाथियों की आवाजाही को बाधित किए जाने और उन पर अवैध निर्माण के साथ ही हाथियों को भगाने की वन विभाग की तकनीक पर नैनीताल हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। एक संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने सरकार से 15 अक्टूबर तक स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने वन विभाग से पूछा है कि हाथियों को भगाने के लिए मिर्च की बॉल और पटाखों के इस्तेमाल जैसी क्रूरता क्यों की जा रही है।

बता दें कि रामनगर की एक संस्था ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि उत्तराखण्ड में 11 हाथी कॉरिडोर हैं। इनमें से ज़्यादातर पर अतिक्रमण हो गया है जिससे हाथियों की आवाजाही पूरी तरह से बाधित हो गई है।

कॉर्बेट पार्क के आस-पास तीन हाथी कॉरिडोर का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि मलानी कोटा, चिल्किया कोटा व दक्षिण पतली दून तो कई जगह पूरी तरह से बंद हो गए हैं और कुछ पर निर्माण कार्य जारी है।

पिछले कुछ सालों में हाथियों द्वारा हमले के 30 मामले सामने आए हैं. रामनगर मोहान मार्ग पर 6 महीने में 12 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। पिछले कुछ सालों में हाथियों द्वारा हमले के 30 मामले सामने आए हैं। रामनगर मोहान मार्ग पर 6 महीने में 12 मामले रिपोर्ट किए गए है।

याचिका में कहा गया है कि इससे हाथियों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। याचिका में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में हाथियों द्वारा हमले के 30 मामले सामने आए हैं। रामनगर मोहान मार्ग पर 6 महीने में 12 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। याचिका में बताया गया है कि एक घंटे में करीब 126 वाहनों की आवाजाही इस मार्ग पर होने से वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है।

याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट को भी दरकिनार कर दिया गया है और इन हाथी कॉरिडोर में पर्यटन गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। याचिका में केन्द्र सरकारी की संस्तुतियों को लागू करने की मांग की गई है।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

बजट पर चर्चा :विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली दी, केन्द्रीय मंत्री का बड़ा आरोप

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (25 जुलाई 2024) संसद के दोनों सदनों में …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-